भारतीय जनता पार्टी के लिए चित्रकूट हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण और संभावनाओं वाला क्षेत्र रहा है। यहाँ संगठन की पकड़ है, कार्यकर्ता सक्रिय हैं, परंतु नेतृत्व को लेकर लंबे समय से असमंजस बना हुआ है। कभी गुटबाज़ी तो कभी टिकट वितरण को लेकर उपजी नाराज़गी, पार्टी के ज़मीनी विस्तार में बाधक बनती रही है। ऐसे समय में पार्टी को ज़रूरत है एक ऐसे नेतृत्व की, जो न सिर्फ संगठन की जड़ों से जुड़ा हो, बल्कि संघ के मूल विचार, कार्यकर्ता भावना और समर्पण के उस स्तर को भी समझता हो, जिस पर भाजपा खड़ी हुई है। इस सन्दर्भ में श्री राजीव त्रिपाठी एक ऐसा नाम हैं, जो आज भी प्रचार से दूर रहकर विचार और संगठन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
श्री त्रिपाठी की पहचान मात्र एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक संघ के प्रचारक, समर्पित संगठनकर्ता और युवा मोर्चा से लेकर किसान मोर्चा तक की यात्रा करने वाले कार्यकर्ता के रूप में है। उन्होंने बिना किसी शोर-शराबे के, बिना पोस्टर और बड़े-बड़े बैनरों के, दशकों तक पार्टी के लिए लगातार काम किया है। वे क्षेत्रीय मंत्री, किसान मोर्चा के पद पर रहते हुए किसानों के मुद्दों को प्राथमिकता से उठाते रहे, वहीं भाजपा के जिला उपाध्यक्ष के रूप में संगठनात्मक एकता की मजबूत मिसाल कायम की।
उनका कार्यक्षेत्र केवल चित्रकूट तक सीमित नहीं रहा। वे दो बार भाजयुमो की प्रदेश कार्यसमिति में रहे, जिससे उनका अनुभव प्रदेश स्तर की रणनीति और संगठनात्मक समझ में भी परिपक्व हुआ। महोबा जैसे जिले में जब युवाओं को भाजपा से जोड़ना कठिन था, वहां भाजयुमो जिला प्रभारी के रूप में उन्होंने उल्लेखनीय भूमिका निभाई। मानिकपुर मण्डल प्रभारी रहते हुए उन्होंने पार्टी को बूथ स्तर पर सशक्त किया और क्षेत्र कार्यालय प्रभारी के रूप में न केवल संगठनात्मक संयोजन किया, बल्कि वरिष्ठ नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच सेतु की भूमिका भी निभाई।
आज जब पार्टी को जनविश्वास और कार्यकर्ता सम्मान दोनों की आवश्यकता है, तब श्री त्रिपाठी जैसे संघर्षशील और विवेकशील नेताओं की उपस्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है। वे संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं, हिन्दुत्व को जीवन मूल्य की तरह आत्मसात करते हैं, और संगठन को परिवार मानते हैं। उन्होंने हमेशा पार्टी के पीछे खड़े रहकर काम किया है, बिना किसी व्यक्तिगत लाभ या प्रचार की चाह के।
चित्रकूट में वर्तमान स्थिति में पार्टी गुटबाज़ी और नेतृत्व की अस्पष्टता से ग्रसित है। जनता भी उलझन में है कि असली भाजपा कौन चला रहा है टिकटधारी, टेंडरधारी या तथाकथित समाजसेवी नेता? कार्यकर्ता हताश है, आम समर्थक भ्रमित है, और पार्टी का चेहरा लगातार बदलते नकाबों में खोता जा रहा है। ऐसे में अगर संगठन को स्थायित्व देना है, कार्यकर्ताओं का सम्मान लौटाना है और जनता का विश्वास जीतना है, तो ज़रूरत है ऐसे व्यक्ति को नेतृत्व में लाने की जो सबको साथ लेकर चले दृ और राजीव त्रिपाठी इस कसौटी पर पूर्णतः खरे उतरते हैं।
वे न तो विवादों में रहे, न ही अवसरवाद की राजनीति के सहभागी बने। जब-जब पार्टी संकट में आई, उन्होंने पीछे खड़े होकर हर संभव सहयोग दिया। वे संगठन का ‘चुपचाप योद्धा’ हैं, जो माइक नहीं, मंथन में विश्वास करता है। यदि भाजपा उन्हें जिलाध्यक्ष जैसे पद पर लाती है, तो इससे न केवल कार्यकर्ताओं में नया उत्साह पैदा होगा, बल्कि पार्टी में लंबे समय से फैले अंतर्विरोधों और असंतोष का भी समाधान निकलेगा।
चित्रकूट को अब दिखावटी नेताओं की नहीं, विवेक और विचार से चलने वाले नेतृत्व की ज़रूरत है और श्री राजीव त्रिपाठी उस संतुलित नेतृत्व के सबसे सशक्त उम्मीदवा