7 दिन का नोटिस, 1 दिन में कार्रवाई, जनता को क्यों नहीं मिला सुनवाई का हक़? सत्तापक्ष के नेता क्यों हैं खामोश?
चित्रकूट। अस्थायी बस अड्डे को हटाकर बेड़ी पुलिया शिफ्ट किए जाने के प्रशासनिक फैसले ने करवी शहर में हड़कंप मचा दिया है। जनता सड़कों पर भटक रही है, व्यापारी रोज़ी-रोटी खो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार नेता अब भी खामोश हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह फैसला वाकई मुख्यमंत्री का था, या फिर किसी स्थानीय सियासी साज़िश की पटकथा?
करवी शहर में स्थित अस्थायी रोडवेज बस स्टैंड को अचानक बंद कर बेड़ी पुलिया के पास 7 किलोमीटर दूर शिफ्ट कर देना अब पूरे जिले में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच ‘ठीकरा फोड़’ और जनाक्रोश का कारण बन गया है। प्रशासन कहता है कि ष्भीड़ और ट्रैफिक की समस्या के समाधान के लिए यह कदम उठाया गया। वहीं, एसडीएम के मुताबिक यह कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर लिया गया। लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या सीएम ने वाकई सिर्फ चित्रकूट को ही चिन्हित किया था? अगर मुख्यमंत्री का आदेश था कि ष्शहर के बीच कोई बस अड्डा न हो, तो फिर लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज जैसे बड़े शहरों में अब भी शहर के भीतर चल रहे बस अड्डों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या चित्रकूट ही प्रयोगशाला बन गया है, या फिर यहां की जमीन किसी रसूखदार की निगाह में है?
प्रशासन ने 7 दिन का नोटिस जारी किया था, लेकिन पहले ही दिन भारी पुलिस बल के साथ अड्डे को बंद करवा दिया गया। इससे व्यापारियों, यात्रियों, और स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है। व्यापारी कह रहे हैं कि ष्हमें बिना सुने ही उजाड़ दिया गयाष्, जबकि छात्रों और बुजुर्गों का कहना है कि अब रोज़मर्रा की यात्रा एक संघर्ष बन गई है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस मुद्दे पर जिले के सांसद, विधायक और अन्य जिम्मेदार नेता चुप क्यों हैं? क्या वे भी इस फैसले में शामिल हैं या फिर उन्हें चुप रहने को कहा गया है? आम जन कह रहे हैं कि “जब हमें वोट चाहिए होता है, तब हमारे दरवाजे पर नेता खड़े रहते हैं३ अब क्यों सब मौन हैं?” कुछ सत्ताधारी नेताओं ने यह बयान दिया है कि यह पूरा घटनाक्रम एक सुनियोजित साजिश हैकृजिसका मकसद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदनाम करना है। अगर यह सच है, तो सवाल यह उठता है कि प्रशासन और नेतृत्व के बीच समन्वय क्यों नहीं है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक स्थायी और व्यवस्थित बस अड्डा नहीं बन जाता, तब तक पुराने स्थान पर ही अस्थाई स्टैंड चलने देना चाहिए था। यह हड़बड़ी सिर्फ जनता के लिए नहीं, बल्कि शासन की नीयत पर भी प्रश्नचिन्ह है।