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जिंदा आदमी का अंतिम संस्कार, जब लाश की जगह जुर्म जल रहा था

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55 लाख की बीमा राशि पाने के लिए सुनील सिंह और पत्नी हेमा ने रची खौफनाक साजिश, निर्दाेष युवक को मारकर लाश को खुद की बताई

बीमा के लिए खुद को मरा बताया, निर्दाेष को जिंदा जला दिया, फिल्मी स्टाइल में कत्ल, लेकिन पुलिस से न बच पाया कातिल पति-पत्नी का जाल

चित्रकूट। अपराध कितना भी चालाकी से क्यों न किया जाए, एक न एक सुराग जरूर छूट जाता है।ष् दृ इस कहावत को सच साबित करते हुए चित्रकूट पुलिस ने एक सप्ताह के भीतर एक बेहद खौफनाक और फिल्मी अंदाज़ में रची गई साजिश का पर्दाफाश कर दिया है। एसपी अरुण कुमार सिंह ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि पति-पत्नी की जोड़ी ने करोड़ों के बीमा क्लेम के लिए एक निर्दाेष व्यक्ति को जिंदा जलाकर उसकी पहचान बदलने की योजना रची थी।

पत्नी ने शव को बताया पति, पुलिस को हुआ शक

रीवा की रहने वाली महिला हेमा सिंह ने उस शव को अपने पति सुनील सिंह का बताते हुए अंतिम संस्कार कर दिया। लेकिन पुलिस को उसकी हाव-भाव और डीएनए टेस्ट से बचने की कोशिशों पर शक हुआ। इसी दौरान एक मुखबिर से सूचना मिली कि ‘मृतक’ सुनील सिंह दरअसल जिंदा है और अपने रिश्तेदार के घर में छिपा है।

असली सुनील जिंदा निकला, निर्दाेष युवक की हुई थी हत्या

मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने जब छापेमारी कर सुनील सिंह को गिरफ्तार किया, तो उसने पूरे अपराध का खुलासा कर दिया। पूछताछ में पता चला कि उसने बीमा क्लेम के लिए अपने जैसे कद-काठी के युवक विनय चौहान को निशाना बनाया। सुनील ने पहले विनय को शराब पिलाकर अपने घर छोड़ा, फिर अगले दिन उसे दोबारा बुलाया और साजिश को अंजाम देने चित्रकूट लाया। सुनील ने पहले प्रयागराज के रास्ते ले जाने का बहाना बनाया, लेकिन ट्रैफिक ज्यादा होने के चलते रास्ता बदल दिया। मऊ-रामनगर राजापुर मार्ग के एक सूनसान स्थान पर जब विनय शराब के नशे में बेहोश हो गया, तब सुनील ने कार का शीशा बंद कर उसमें लाया गया गैस सिलेंडर चालू कर दिया, विनय पर कपूर छिड़का और दो बॉडी स्प्रे अंदर छोड़ दिए। इसके बाद आग लगाकर मौके से फरार हो गया।
जली हुई लाश की पहचान विनय चौहान के रूप में हुई है, जिसके परिवारजनों ने उसे कई दिनों से लापता बताया है। पुलिस अब शव की डीएनए जांच कर अंतिम पुष्टि में जुटी है।
यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि लालच और महंगे शौक इंसान को किस हद तक गिरा सकते हैं जहां अपनी मौत का नाटक रचने के लिए कोई निर्दाेष जला दिया जाए।

संदेह से सुलझी साज़िशः थानाध्यक्ष की सूझबूझ से टूटी कत्ल की परतें

राजापुर, चित्रकूट । बीमा क्लेम के लिए की गई एक फिल्मी हत्या की गुत्थी तब सुलझी जब राजापुर थानाध्यक्ष प्रवीन कुमार ने शव और घटनास्थल के विवरणों में अंतर देखा। पहली नजर में हादसा लगने वाले इस मामले में उन्होंने जब मृतक की पहचान और बीमा की जानकारी को क्रॉस-चेक कराया, तब सामने आई दो करोड़ की बीमा धोखाधड़ी और एक निर्दाेष की निर्मम हत्या की साजिश। थानाध्यक्ष प्रवीन कुमार की बारीक निगाह, प्रभावी नेतृत्व और तत्पर कार्यवाही ने इस केस को ‘हादसा’ से ‘हत्या’ में बदला और मृतक घोषित किए गए सुनील को जिंदा पकड़ा।

फिल्मी अंदाज़ में रची गई साजिश

पुलिस के मुताबिक, आरोपी सुनील सिंह निवासी दृ जवां गांव, रीवा, मध्यप्रदेश और उसकी पत्नी हेमा सिंह ने लोकप्रिय क्राइम शोज़ ‘क्राइम पेट्रोल’, ‘सावधान इंडिया’ और यूट्यूब की साउथ मूवी ‘कुरूप’ से प्रेरणा लेकर बीमा फर्जीवाड़े की योजना बनाई। दंपति पर आरोप है कि उन्होंने बीमा क्लेम के लिए एक व्यक्ति की हत्या कर उसे सुनील के रूप में पेश किया और फिर उसकी पत्नी ने ‘शव की पहचान’ कर अंतिम संस्कार भी कर दिया।

घटना के बाद लाश का सुनील के रूप में अंतिम संस्कार

वारदात के बाद हेमा सिंह ने मौके पर पहुंचकर जली हुई लाश को अपने पति का बताकर पुलिस को गुमराह किया और अंतिम संस्कार कर दिया। लेकिन जब जांच में विरोधाभास सामने आने लगे और असली सुनील जिंदा पाया गया, तो पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

30 जून को मिली थी जली हुई कार

30 जून को चित्रकूट के राजापुर थाना क्षेत्र के सिकरी अमान गांव के पास सड़क किनारे एक जली हुई ऑल्टो कार में एक अधजली लाश मिलने से सनसनी फैल गई थी। शव ड्राइवर सीट की बगल वाली सीट पर था और कार के भीतर से टूटी हुई चूड़ियाँ भी मिली थीं। शुरुआती जांच में हादसा मान रही पुलिस ने मृतक की पहचान के लिए डीएनए जांच कराने का फैसला लिया।

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C P Dwivedi
लेखक परिचय : चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी हैऔर शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।

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