Home बड़का पंडित की बकैती माँ मंदाकिनी के नाम पर ढोंग का महायज्ञ”

माँ मंदाकिनी के नाम पर ढोंग का महायज्ञ”

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(बड़का पंडित की भभकती कलम से)

मंत्री जी आए झाड़ू उठाए,
फोटो खिंचाए, पोस्टर छपवाए।
माँ मंदाकिनी का तट चमकाया,
फिर कैमरे संग लखनऊ भाग आए।

पर नाला वहीं, सीवर वहीं,
गंदगी वहीं, बदबू वहीं।
माई की छाती छलनी हर रोज़,
सेवा के नाम पे बस पाखंड का शोर।

नेता आए, सेवा गाए,
हर मंच से माई को माँ बतलाए।
लेकिन माई से जमीनी रिश्ता तोड़,
बस पोस्टर पे प्रेम का बोझा लादे।

जो कल तक भूल गए थे नदी की राह,
आज हर कोई “नदी पुत्र” बना वाह-वाह।
बाबा की बगिया से सीवर बहाए,
और झूठी गंगा आरती सजाए।

नगरपालिका, प्रशासन, सब चुप,
दलालों की मीटिंग, और फोटो का स्क्रिप्ट अप।
जनता देखे, समझे, पर बोले नहीं,
क्योंकि नेता के ढोंग पे सवाल कोई तोले नहीं।

बड़का पंडित की चेतावनी:

“माई को माँ कहने से कुछ नहीं होगा,
सीवर बंद करो, नाले साफ़ करो,
वरना इस ‘नदी सेवा’ को जनता अब
फोटोबाज़ी का नया धोखा कहेगी!

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C P Dwivedi
लेखक परिचय : चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी हैऔर शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।

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