(बड़का पंडित की भभकती कलम से)
मंत्री जी आए झाड़ू उठाए,
फोटो खिंचाए, पोस्टर छपवाए।
माँ मंदाकिनी का तट चमकाया,
फिर कैमरे संग लखनऊ भाग आए।
पर नाला वहीं, सीवर वहीं,
गंदगी वहीं, बदबू वहीं।
माई की छाती छलनी हर रोज़,
सेवा के नाम पे बस पाखंड का शोर।
नेता आए, सेवा गाए,
हर मंच से माई को माँ बतलाए।
लेकिन माई से जमीनी रिश्ता तोड़,
बस पोस्टर पे प्रेम का बोझा लादे।
जो कल तक भूल गए थे नदी की राह,
आज हर कोई “नदी पुत्र” बना वाह-वाह।
बाबा की बगिया से सीवर बहाए,
और झूठी गंगा आरती सजाए।
नगरपालिका, प्रशासन, सब चुप,
दलालों की मीटिंग, और फोटो का स्क्रिप्ट अप।
जनता देखे, समझे, पर बोले नहीं,
क्योंकि नेता के ढोंग पे सवाल कोई तोले नहीं।
बड़का पंडित की चेतावनी:
“माई को माँ कहने से कुछ नहीं होगा,
सीवर बंद करो, नाले साफ़ करो,
वरना इस ‘नदी सेवा’ को जनता अब
फोटोबाज़ी का नया धोखा कहेगी!