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मंदाकिनी उफनी, रामघाट डूबा: चित्रकूट में 2013 की ‘हाथी वाली बाढ़’ को भी पीछे छोड़ती आपदा

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चित्रकूट में मंदाकिनी का महाप्रलय, डूबा रामघाट : नावों से गश्त पर निकले अफसर
चित्रकूट, 13 जुलाई। सावन के दूसरे दिन चित्रकूट में माँ मंदाकिनी का रौद्र रूप देखने को मिला। बीते 48 घंटे की मूसलधार बारिश ने पूरे जिले में जलप्रलय जैसी स्थिति बना दी है। मंदाकिनी नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है, जिससे रामघाट, भरतघाट, हनुमानधारा, पयस्विनी किनारे के मंदिर और घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। रामघाट का ऐतिहासिक पुल पानी में डूब गया है। बाजार की सैकड़ों दुकानें और घाट किनारे बने मंदिरों की सीढ़ियाँ अब जल समाधि ले चुकी हैं। श्रद्धा का स्थल अब त्रासदी की तस्वीर बना हुआ है। हालात ऐसे कि पुलिस-प्रशासन को नावों से गश्त करनी पड़ रही है। बढ़ते जलस्तर के कारण यूपी-एमपी सीमा को सील कर दिया गया है। रामघाट से कामतानाथ मार्ग, कर्वी से तरौंहा और बेड़ी पुलिया जैसे संपर्क मार्ग पूरी तरह डूब चुके हैं। नयागांव पुल पर आवागमन रोक दिया गया है।

बाजारों में पानी इस कदर भर गया है कि लोग अब छतों या ऊँचाई पर बने मकानों में शरण लिए हुए हैं। कई जगहों से नाव से लोगों को रेस्क्यू किया गया। लगातार हो रही बारिश के कारण देवांगना रोड पर पहाड़ों से भारी पत्थर गिर पड़े हैं। इससे मार्ग अवरुद्ध हो गया है। यात्रियों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि यह मार्ग अत्यंत संवेदनशील हो गया है। कर्वी के पिपरावल, भरतकूप, मंदाकिनी रोड, तरौंहा और शंकर बाजार में जलभराव के कारण स्थानीय लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम कर दिया। महिलाएं-बच्चे सड़कों पर उतर आए और जलनिकासी व्यवस्था की लापरवाही के खिलाफ प्रदर्शन किया। मानिकपुर-धारकुंडी मार्ग पर बरदहा नदी पर बना नया पुल तेज बहाव के आगे नहीं टिक सका और उद्घाटन से पहले ही ढह गया। इससे रीवा-सतना की कनेक्टिविटी ठप हो गई है। ग्रामीणों ने निर्माण में भारी भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगाए हैं। एसपी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि नदी किनारे बसे लोगों को समय रहते हटाया गया है। सभी दुकानें खाली करवाई गईं, एक फंसे संत को भी सुरक्षित निकाला गया। राहत की बात यह है कि अब तक किसी जनहानि की सूचना नहीं है।
चित्रकूट में मंडलायुक्त अजीत कुमार और डीआईजी राजेश एस ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। डीएम शिवशरणप्पा और एसपी अरुण कुमार ने रामघाट और अन्य संवेदनशील स्थानों पर पहुँच कर राहत कार्यों की समीक्षा की। कलेक्ट्रेट में कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया गया है और नगरपालिका को सफाई और ब्लीचिंग पाउडर छिड़काव के निर्देश दिए गए हैं।

स्थानीय लोगों ने इस बाढ़ की तुलना वर्ष 2013 की ऐतिहासिक ‘हाथी वाली बाढ़’ से की है। उस समय घाट पर खड़ा एक विशाल कृत्रिम हाथी पूरी तरह डूब गया था, और वह बाढ़ आज भी लोगों की स्मृति में है। लेकिन कई लोगों का मानना है कि इस बार की बाढ़ उससे कम नहीं, बल्कि कहीं-कहीं उससे अधिक खतरनाक साबित हो रही है। “अब मंदाकिनी और नाले में कोई अंतर नहीं दिखता,” एक बुजुर्ग पुजारी ने कहा, “जो घाट पहले सुरक्षित माने जाते थे, वहां अब पानी का बहाव है।”
दुकानदारों का कहना है कि सामान पूरी तरह खराब हो चुका है। एक दुकानदार ने बताया, “बाढ़ तो हर साल आती है, लेकिन कोई स्थायी समाधान कभी नहीं किया गया। घाट वैसे ही बने हुए हैं, कोई ऊँचाई नहीं बढ़ाई गई, कोई ड्रेनेज सिस्टम नहीं।” श्रद्धालुओं को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है – पूजा-पाठ तो कर रहे हैं, लेकिन कीचड़ और गंदगी के बीच खड़े होकर।
यह स्थिति हर साल की तरह इस बार भी सामने आई है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार जलस्तर और खतरा दोनों ज़्यादा हैं। सरकार की ओर से चित्रकूट को धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करने की बातें तो बार-बार की जाती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत हर सावन में सामने आ जाती है। विकास केवल फोटो और पोस्टर तक सीमित है, जबकि सच ये है कि न घाट सुरक्षित हैं, न श्रद्धालु।
स्थानीय संतों और समाजसेवियों ने मांग की है कि मंदाकिनी के घाटों पर स्थायी समाधान निकाला जाए, जलभराव और बाढ़ से निपटने के लिए ठोस प्लानिंग हो। लेकिन फिलहाल, घाट डूबे हैं, मंदिरों में पानी है, और प्रशासनिक व्यवस्था हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धा की धार में बहती नज़र आ रही है।

बाढ़ में पाए गए मुख्य बिंदु –

मंदाकिनी नदी खतरे के निशान से 4-6 फीट ऊपर

रामघाट, भरतघाट, पयस्विनी किनारे मंदिर पूरी तरह जलमग्न

नावों से हो रही निगरानी, रेस्क्यू जारी

यूपी-एमपी सीमा सील, सभी संपर्क मार्ग ठप

देवांगना एयरपोर्ट रोड पर पहाड़ धंसे

कर्वी और भरतकूप में चक्का जाम

नवनिर्मित पुल उद्घाटन से पहले ढहा

अब तक कोई जनहानि नहीं — पुलिस

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C P Dwivedi
लेखक परिचय : चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी हैऔर शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।

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