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हर महीने सीएम से भेंट, हर साल दुगुना मुनाफा – पंकज अग्रवाल का ‘सहकारिता मॉडल’ या सियासी स्टाइल? चित्रकूट-बांदा की ज़मीन से लखनऊ के शिखर तक, सहकारी बैंक में आंकड़ों की उड़ान और नेताजी की फोटो पॉलिटिक्स!

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बांदा जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन पंकज अग्रवाल इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा में हैं। वजह सिर्फ़ बैंक का बढ़ता मुनाफा नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी लगातार मुलाकातें भी हैं। दावा है कि पंकज अग्रवाल अब तक सीएम योगी से 50 से अधिक बार मिल चुके हैं। खुद पंकज ने संपादक चंद्र प्रकाश द्विवेदी से बातचीत में कहा “मैं सिर्फ मुख्यमंत्री का आशीर्वाद लेने जाता हूँ।” लेकिन सियासत में बार-बार लखनऊ जाना और हर बार तस्वीरें पोस्ट करना कुछ और ही संकेत देता है।
7 जुलाई को फिर से लखनऊ पहुंचकर उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की, जहां उन्होंने जिला सहकारी बैंक की वित्तीय प्रगति की रिपोर्ट दी और बीजेपी का प्रतीक चिह्न भेंट किया। सीएम योगी ने इस पर खुले मंच से उनकी तारीफ़ भी कर दी। उसके बाद से सोशल मीडिया पर वही फोटो छाई हुई है और पंकज समर्थकों की टोली इसे श्सीधे मुख्यमंत्री से जुड़ावश् का प्रमाण पत्र मान बैठी है।
अगर आंकड़ों की बात करें तो पंकज अग्रवाल के कार्यकाल में सहकारी बैंक ने 2025 तक कुल 1614.79 लाख रुपये की संचित राशि तक पहुँच बना ली है। वहीं ऋण वितरण 32790.46 लाख का रहा, जो पिछली योजनाओं से कहीं अधिक बताया जा रहा है। सिर्फ 2023-24 में ही बैंक ने 580.64 लाख का मुनाफा दर्ज किया है, जबकि 2021-22 में यही लाभ 288.52 लाख था। यानी मुनाफा लगभग दोगुना हो गया है। वसूली दर भी अब 54.45 प्रतिशत से बढ़कर 72 प्रतिशत तक पहुँचने की दिशा में है। यह सब बातें सीएम के समक्ष प्रस्तुत की गईं और फिर से फोटो फ्रेम में मुस्कान बिखेर दी गई।


यह भी जानना दिलचस्प है कि पंकज अग्रवाल अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जो लखनऊ की सीढ़ियाँ चढ़ते हैं। उनके साथ मानिकपुर ब्लॉक प्रमुख अरविन्द रलिहा, कभी-कभी पूर्व सांसद और नगर पालिका चेयरमैन समेत अन्य प्रतिनिधि भी राजधानी में दिखाई देते हैं। लेकिन सबसे नियमित चेहरा पंकज अग्रवाल का ही माना जा रहा है। हर माह सीएम से मुलाक़ात, फिर फेसबुक पर पोस्ट, और फिर अफसरों को सिग्नल “हमारी पकड़ लखनऊ तक है”। यह एक ऐसा फार्मूला बन गया है, जिसे क्षेत्र के दूसरे नेता भी आज़माने लगे हैं।
स्थानीय सूत्रों की मानें तो पंकज अग्रवाल के सरल स्वभाव और सज्जनता का अक्सर उनके चारों ओर के चालाक लोग श्सियासी उपयोगश् कर लेते हैं। यानी सीधे-सच्चे चेहरों के पीछे कई चतुर दिमाग योजनाएं बनाते हैं। बड़का पंडित तो कहता है “सही पूछिए तो सबसे सीधे और साफ़ दिल के नेता पंकज हैं, लेकिन उनका उपयोग करने वाले सबसे चालाक!” अब सवाल यह है कि क्या यह सब कुछ केवल सहकारिता बैंक के विकास का मामला है, या फिर कहीं न कहीं पंकज अग्रवाल को 2027 की चुनावी तैयारी में भी देखा जाना चाहिए? सार्वजनिक मंचों पर फोटो, रिपोर्ट, और तारीफ़ें जितनी अच्छी दिखती हैं, सियासत के खेल में उनका मतलब भी उतना ही गहरा होता है।

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C P Dwivedi
लेखक परिचय : चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी हैऔर शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।

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