शुक्रवार, जुलाई 11, 2025
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बड़का पंडित की कलम से: कार्यकर्ता की व्यथा, नेता की कथा, अगर टिकट मिलता तो तस्वीर कुछ और होती – बोले खरे जी, करवी नगरपालिका चेयरमैन पद के असली हक़दार थे चन्द्र प्रकाश खरे, मगर टिकट कहीं और चला गया, बड़का पंडित से खास बातचीत में बोले भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष

कताई मिल की मशीनों के बीच से चलकर रामजन्मभूमि आंदोलन तक, और वहाँ से भाजपा के जिला संगठन के शीर्ष तक पहुँचे चंद्र प्रकाश खरे आज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। बड़का पंडित से बातचीत में उन्होंने साफ कहा  नगर पालिका का टिकट मुझे मिला होता, तो आज करवी नगर की स्थिति कुछ और होती। यह केवल एक वक्तव्य नहीं, बल्कि एक ऐसा आंतरिक दर्द था जो एक समर्पित कार्यकर्ता को संगठन द्वारा उपेक्षित किए जाने से उपजा है।
बातचीत की शुरुआत खरे जी ने अपने संघर्षों से की। बताया कि उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत बाँदा की कताई मिल में मजदूरी से की थी, जहाँ उन्हें प्रतिदिन 600 रुपये मिला करते थे। उस दौर में यह रकम एक बड़ी आमदनी मानी जाती थी, लेकिन आर्थिक सुख की बजाय उन्हें आत्मिक सुकून की तलाश थी। उसी तलाश में वे विश्व हिंदू परिषद के सम्पर्क में आए और हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार में रम गए।
अयोध्या आंदोलन के दौर में वे पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। रामजन्मभूमि संघर्ष, संकल्प यात्रा, रामजानकी रथयात्रा, जनजागरण और मंदिर आंदोलन के हर चरण में वे शामिल रहे। उन्होंने कहा, मेरे लिए जीवन का लक्ष्य ही बन गया था , हिंदुत्व का प्रसार और भगवान राम के नाम का काम।
राजनीति में उनकी औपचारिक एंट्री 1997 में हुई, जब उन्हें रमेश चंद्र द्विवेदी द्वारा सांसद प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने का मौका मिला। उसके बाद वर्ष 2000 में भाजपा ने उन्हें करवी नगर अध्यक्ष बनाया। फिर वे जिला महामंत्री बने, और अंततः 2019 से 2023 तक भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे।
जिलाध्यक्ष कार्यकाल के दौरान संगठन ने कई उपलब्धियाँ दर्ज कीं। लगभग सभी ब्लॉक प्रमुख भाजपा समर्थक बने, जिला पंचायत सदस्यों में बहुमत मिला, ग्राम प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक भाजपा का दबदबा बना रहा। करवी नगर पालिका चेयरमैन पद भी भाजपा के खाते में गया, लेकिन टिकट मिला किसी और को।
चंद्रप्रकाश खरे कहते हैं जब मैंने संगठन को ज़मीन पर खड़ा किया, हर बूथ पर कार्यकर्ता खड़े किए, तो फिर टिकट मेरे बजाय किसी और को क्यों? वे यह कहते हुए भी दिखे, मैंने पद की कभी लालसा नहीं की, लेकिन जब मेहनत की फसल तैयार हो तो काटने का अधिकार उसी को होना चाहिए जिसने बीज बोया हो। अपने टिकट न मिलने को लेकर वे यह भी कहते हैं  शायद मेरी गलती यह थी कि मैं बहुत सीधा था, तरीका राजनीति वाला नहीं था। अब तो पार्टी में काम से ज्यादा तरीका देखा जाता है।
बातचीत के अंत में जब बड़का पंडित ने पूछा कि क्या वे आज भी संगठन से उसी भावना से जुड़े हुए हैं, तो उन्होंने थोड़ी देर की चुप्पी के बाद कहा , मैं संगठन का आदमी हूं, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या संगठन भी मुझे अपना मानता है? जाते-जाते एक वाक्य उन्होंने दोहराया करवी नगरपालिका चेयरमैन पद के असली हक़दार मैं ही था। उनकी आवाज़ में कोई आक्रोश नहीं था, बस एक ऐसा संतुलित दर्द था जो केवल वही समझ सकता है जिसने ज़मीन पर झंडा थामा हो, पोस्टर चिपकाए हों और कुर्सी के लिए नहीं, विचार के लिए जिया हो।

इस बार टिकट मिला, तो जीत पक्की, समर्थन में जनता की बुलंद आवाज

आगामी करवी नगर पालिका चुनाव की चर्चा अभी से सुनाई देने लगी है। चाय की दुकानों से लेकर पार्टी कार्यालयों तक, एक ही नाम बार-बार उभर रहा है चन्द्र प्रकाश खरे। बीजेपी के पुराने सिपाही, ज़मीनी कार्यकर्ता और संगठन के तपे हुए खिलाड़ी खरे की लोकप्रियता फिलहाल चरम पर है। जनभावनाओं का स्पष्ट संकेत है, अगर इस बार टिकट मिला, तो जीत पक्की! चंद्र प्रकाश खरे उन चंद नेताओं में से हैं, जिन्होंने राजनीति को साधना की तरह जिया है। कताई मिल की मजदूरी से लेकर रामजन्मभूमि आंदोलन तक उनका संघर्ष बहुआयामी रहा है।
1990 के दशक में विश्व हिंदू परिषद और जागरण यात्राओं में सक्रिय भूमिका निभाने वाले खरे 1997 से भाजपा में सक्रिय हैं। पार्टी में वे सांसद प्रतिनिधि, नगर अध्यक्ष, जिला महामंत्री, और जिलाध्यक्ष जैसे ज़िम्मेदार पदों पर रह चुके हैं। मेरे कार्यकाल में हर ब्लॉक में भाजपा के प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और चेयरमैन बने, खरे का दावा, संगठन में उनकी पकड़ दर्शाता है। पिछले चुनाव (2023) में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिससे न सिर्फ़ खरे बल्कि उनके समर्थक भी आहत हुए। मुझसे कहा गया, काम नहीं, तरीका चाहिए। लेकिन मैंने ज़मीन से पार्टी खड़ी की, क्या वो तरीका नहीं था
आगामी चुनावी आते-आते माहौल पूरी तरह बदल गया है। नगर के हर वार्ड में खरे के समर्थन में साफ जनलहर देखी जा रही है। युवाओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, व्यापारी हों या पूर्व पार्षद हर वर्ग में एक ही स्वर अब इस बार खरे ही सही! संगठन में भी आवाज़ें तेज़
पार्टी के भीतर भी अब खरे को लेकर सकारात्मक दबाव बनने लगा है। पुराने कार्यकर्ता, जो मोदी-शाह युग में हाशिये पर चले गए थे, अब खरे के समर्थन में लामबंद हो रहे हैं। भाजपा तभी मजबूत होगी, जब ज़मीनी सिपाही को शीर्ष पर लाया जाएगा, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता (नाम न छापने की शर्त पर) ने कहा।

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय : चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी हैऔर शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
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