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Monday, June 23, 2025
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Homeचित्रकूटकेंद्रीय विद्यालय चित्रकूट मे भव्य तरीके से मनाया गया शिक्षक दिवस

केंद्रीय विद्यालय चित्रकूट मे भव्य तरीके से मनाया गया शिक्षक दिवस

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चित्रकूट – एक छात्र ही भावी पीढ़ी की आधारशिला है, छात्रों को सदगुणो से युक्त करना ही एक अच्छे शिक्षक का उत्तरदायित्व है, यह बात केंद्रीय विद्यालय चित्रकूट मे आयोजित डॉ. राधाकृष्णन के 136वे जन्मदिवस के अवसर पर प्राचार्या स्नेहलता ने कहा, उन्होने यह भी कहा प्रत्येक व्यक्ति का पहला शिक्षक उनकी माता होती है, सभी को अगर माता-पिता और गुरु द्वारा सही मार्गदर्शन मिले तो वह राष्ट्र और समाज मे अपनी एक अलग पहचान बनाता है, एक भावी नागरिक का निर्माण करना एक आदर्श शिक्षक के हाथ में है।

शिक्षकों ने प्रतिदिन की भांति छात्र बनकर आयोजित की प्रार्थना सभा

केंद्रीय विद्यालय मे प्रातः प्रार्थना सभा से ही शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा, आज इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक छात्रों की तरह प्रार्थना सभा करते नजर आये, खेल शिक्षक विनय पाण्डेय के कमांड पर प्रतिदिन की तरह प्रार्थना सभा आयोजित की गई, प्रार्थना सभा मे छात्र प्रतिज्ञा शिक्षक शिव कुमार एवं शिक्षक सईद अहमद द्वारा कराई गई, इसी क्रम मे आज का सुविचार शिक्षक बद्रीश शुक्ला एवं शिक्षिका पारुल देवी द्वारा, न्यूज़ वार्ता को  शिक्षिका आकांक्षा शुक्ला एवं दीपिका ने कही, नया शब्द शिक्षक अजय पाल एवं शिक्षिका प्रियंका अग्रवाल, तथा आज के दिन इतिहास मे शिक्षक रामानुज एवं शिक्षक सी.पी द्विवेदी ने कहा, विशेष कार्यक्रम की प्रस्तुति शिक्षक मनीष तिवारी ने दी,

कक्षा आठवीं के बच्चों ने मनाया भव्य तरीके से शिक्षक दिवस

केंद्रीय विद्यालय के कक्षा 8 के विधार्थियों ने अपनी कक्षा मे एक शिक्षक दिवस का आयोजन किया जिसमे प्राचार्या महोदय द्वारा केक काटकर डॉ राधाकृष्णन के जन्मदिन को यादगार किया गया किया, इस अवसर पर प्राचार्या ने अपने शिक्षकों के बारे मे बहुत ही प्रेरणादायी बात कही,

उन्होंने कहा कि माता-पिता के बाद अगर किसी का स्थान है तो वह शिक्षक का है, शिक्षक दिवस मनाने का तात्पर्य है कि शिक्षक और शिष्य को अपने-अपने कर्तव्य का बोध हो, शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए किसी एक दिन की जरूरत नहीं बल्कि उनका आदर तो हमेशा करना चाहिए। अध्यापक हमारे जीवन में उस सूर्य के समान हैं जिसके ज्ञान रूपी प्रकाश से हम अपने जीवन को हमेशा प्रकाशित कर सकते हैं इस अवसर पर सी.पी. द्विवेदी ने कहा कि 5 सितम्बर का दिन हमारे शिक्षकों के लिए समर्पित है। इस दिन हमें उन सभी का हार्दिक धन्यवाद करना चाहिए, जिनसे जीवन में कुछ सीखने का अवसर प्राप्त हुआ है। जिनकी छत्रछाया में बैठकर जीवन निर्माण की शिक्षा ली है।

कक्षा बारहवी के छात्रों ने सभी अध्यापको का रोल करके लोए सभी कलांश

शिक्षक दिवस के अवसर पर कक्षा बारहवी के छात्र विद्यालय के सभी अध्यापकों के रोल मे बनकर उसी अध्यापक के समस्त कलांशो को पढ़ाया, सभी छात्र अध्यापकों ने सभी शिक्षकों के रूप मे प्रतिदिन की भांति सभी कक्षाओं मे जाकर पढ़ाया। शिक्षक दिवस सम्मारोह का आयोजन मे समूह गीत, समूह नृत्य आदि के आयोजित किये गए जिसमे शिक्षक समीर शुक्ला ने अपने वक्तव्य मे कहा की शिक्षक दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों का कर्तव्य बनता है कि वे अपने अध्यापकों का एक दिन के लिए नहीं अपितु जीवन भर सम्मान करें क्योंकि गुरु के द्वारा ही उसने जीवन में सफलता को प्राप्त किया है। अवसर पर मुख्य रूप से आर. के.मौर्या , पी. एन.तिवारी, अलोक श्रीवास्तव, अवधेश पाल, आनंद प्रकाश, हंसराज भारती, सविता जायसवाल समेत सभी शिक्षक उपस्थित रहे ।

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय: चंद्रप्रकाश द्विवेदी , चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी है।

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