रेल मांग पर फिर ज्ञापन, शिवपूजन गुप्ता के भगीरथ प्रयासों पर अब भी उठते हैं सवाल
राजापुर (चित्रकूट)। बुंदेलखंड की धरती पर बसी तुलसी की तपोस्थली राजापुर आज भी विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर खड़ी है। जहाँ एक ओर प्रदेश के तमाम कस्बे स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं राजापुर आज भी ब्लॉक का दर्जा, रोडवेज बस अड्डा, और आधारभूत सुविधाओं की बाट जोह रहा है। ऐसे में यहां रेल लाइन की मांग एक बार फिर ज़ोर पकड़ रही है और इसकी कमान संभाली है उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के जिला उपाध्यक्ष शिवपूजन गुप्ता ने।
पिछले कुछ वर्षों से श्री गुप्ता लगातार ज्ञापन देते आ रहे हैं कभी सांसद को, कभी जिलाधिकारी को, और अब हाल ही में प्रदेश सरकार के मंत्री को एक और ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें राजापुर को रेल से जोड़ने की मांग को पुनः दोहराया गया। उनका तर्क है कि चित्रकूटधाम मंडल के इस हिस्से को रेल सुविधा से जोड़ना धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक दृष्टि से बेहद जरूरी है। हालाँकि, स्थानीय जनता का एक वर्ग इस मांग पर सवाल भी खड़ा करता रहा है। वे पूछते हैं कि जब तक राजापुर को खुद ब्लॉक का दर्जा नहीं मिला, जब तक यहाँ कोई स्थायी बस अड्डा नहीं बना, और जब तक तहसील स्तर की मूलभूत व्यवस्थाएँ भी अधूरी हैं तब तक रेल की मांग हकीकत से ज़्यादा प्रतीकात्मक प्रतीत होती है।
इस बीच, शिवपूजन गुप्ता का कहना है कि “अगर हम माँग करना छोड़ दें, तो सरकारें ध्यान ही नहीं देतीं। मैं विकास की दिशा में जागरूकता पैदा कर रहा हूँ, और यही मेरी कोशिश का उद्देश्य है।” बावजूद इसके, जानकारों का मानना है कि सिर्फ ज्ञापन देने से कोई योजना अमली जामा नहीं पहनती, उसके लिए ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति चाहिए। राजापुर जैसे कस्बों को रेल से जोड़ने के लिए लंबी योजना, बजट और तकनीकी सर्वेक्षण की आवश्यकता होती है जो फिलहाल कहीं नज़र नहीं आ रहा।
स्थानीय युवाओं और व्यापारी वर्ग में इस मुद्दे को लेकर दो तरह की सोच दिखती है। एक वर्ग इसे जागरूकता की दिशा में जरूरी पहल मानता है, तो दूसरा इसे ‘अखबारों तक सीमित दिखावटी प्रयास’ करार देता है। राजापुर के नागरिक आज भी यही पूछ रहे हैं जब रोडवेज बस तक नियमित नहीं चलती, जब ब्लॉक की फाइलें अब भी अफसरशाही की दराजों में बंद हैं, तब क्या रेल की मांग केवल एक राजनीतिक प्रतीक बनकर रह जाएगी?