Thursday, July 10, 2025
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खोए मोबाइल की वापसी से खिले चेहरे, चित्रकूट पुलिस ने किए 51 फोन बरामद, बरामद मोबाइलों की अनुमानित कीमत 6.40 लाख रुपये, एसओजी/सर्विलांस टीम की सराहनीय पहल

चित्रकूट, 8 जुलाई 2025।
चित्रकूट पुलिस की सक्रियता और तकनीकी दक्षता ने एक बार फिर विश्वास की मिसाल कायम की है। गुमशुदा और चोरी हुए 51 मोबाइल फोन, जिनकी कुल कीमत करीब 6 लाख 40 हजार रुपये आंकी गई है, आज उनके असली मालिकों को सौंप दिए गए। इससे मोबाइल धारकों के चेहरे पर राहत और मुस्कान लौट आई।

पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह के निर्देशन में और अपर पुलिस अधीक्षक सत्यपाल सिंह के पर्यवेक्षण में, प्रभारी एसओजी/सर्विलांस टीम की मेहनत रंग लाई। निरीक्षक एम.पी. त्रिपाठी के नेतृत्व में एसओजी/सर्विलांस व स्वाट टीम ने लगातार प्रयास कर मोबाइल फोन बरामद किए। ये मोबाइल फोन अलग-अलग तिथियों में प्राप्त शिकायतों के आधार पर खोजे गए थे, जिनमें लोगों ने अपने खोए हुए फोन की रिपोर्ट दी थी।

टीम ने तकनीकी निगरानी (सर्विलांस) और ग्राउंड इनपुट के माध्यम से इन मोबाइलों का पता लगाया और आज 08 जुलाई को इन सभी फोन को विधिवत प्रक्रिया के तहत उनके असली मालिकों को सुपुर्द कर दिया गया।

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय : चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी हैऔर शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
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