चित्रकूट- विवाह दो आत्माओं के बीच एक पवित्र बंधन होता है, जिसमें प्रेम, समर्पण और विश्वास की नींव पर जिंदगी की नई शुरुआत होती है. लेकिन जब यही बंधन उन लोगों के बीच जुड़ता है, जो खुद दुनिया को देख नहीं सकते, तब यह रिश्ता सिर्फ एक सामाजिक रस्म नहीं, बल्कि इंसानियत और उम्मीद की मिसाल बन जाता है.
जनपद में कुछ ऐसा ही भावुक और प्रेरणादायक नज़ारा देखने को मिला, जब ‘दृष्टि’ नाम की एक सामाजिक संस्था ने नेत्रहीन युवक- युवतियों के लिए निशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन में कुल छह नेत्रहीन जोड़े शादी के बंधन में बंधे और एक-दूसरे का जीवनभर का साथ निभाने का वादा किया.
समाज से संकोच मिटाकर जोड़ी गईं जिंदगियां
यह आयोजन उन तमाम नेत्रहीन युवक-युवतियों के लिए एक नई रोशनी लेकर आया, जो अब तक समाज की नजरों से अपनी पहचान पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. अक्सर ऐसे दिव्यांग लोगों के विवाह को लेकर समाज में झिझक और उपेक्षा देखी जाती है. लेकिन ‘दृष्टि’ संस्था की यह पहल समाज में एक प्रेरक संदेश दे रही है कि हर इंसान को सम्मान और प्यार से जीने का हक है.
