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Monday, June 23, 2025
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सी पी डी एग्रो फार्मिंग प्रोडूसर कंपनी लिमिटेड के गठन से किसानों को मिलेगा नया अवसर, चित्रकूट के 200 किसानो ने मिलकर खोली एक प्रोडूसर कंपनी,

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चित्रकूट । किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने और उन्हें एक संगठित व्यापारिक संरचना देने के उद्देश्य से चित्रकूट के किसानो ने एक फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन गठित किया गया है। इस संगठन के माध्यम से किसान अब अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकेंगे और आधुनिक कृषि तकनीकों का लाभ उठा सकेंगे। चित्रकूट के सुरुवाती २०० किसानो ने मिलकर यह फार्मर प्रोडूसर कंपनी खोली गई है, सीपीडी एग्रो फार्मिंग प्रोडूसर कंपनी द्वारा किसानो के सही मूल्य एवं उनकी आय को बढ़ाने के लिए एक अच्छा अवसर प्रधान करेगा ।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी डायरेक्टर सुरेंद्र नाथ द्विवेदी द्वारा बताया गया कि एग्री प्रोसेसिंग यूनिट, जैविक खेती, एग्रो टूरिज्म, सप्लाई चैन मैनेजमेंट, वर्मी कम्पोस्ट उर्वरक उत्पादन के साथ साथ ग्रीन हाउस फार्मिंग पर जोर दिया जायेगा, किसानो को प्रशिक्षण और सही जानकारियों के साथ फार्मिंग मे वेहतर रूचि के साथ साथं अच्छे उत्पादन को बढ़ावा देना ही इस कंपनी का काम होगा, बताया गया सीपीडी एग्रो फार्मिंग प्रोडूसर कंपनी एक ऐसा संगठन है जिसमें किसान एक साथ मिलकर एक व्यापारिक इकाई बनाएगे और सभी किसान सामूहिक रूप से बीज, उर्वरक, कृषि यंत्र और अन्य आवश्यक संसाधनों की खरीद कर सकते हैं। साथ ही वे अपनी उपज को सीधे बाजार में बेहतर दामों पर बेच सकते हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी और किसानों को अधिक लाभ मिलेगा। सरकार द्वारा किसानों को रजिस्ट्रेशन, वित्तीय सहायता, सब्सिडी और प्रशिक्षण जैसी विभिन्न सुविधाएँ प्रदान की जायेगी। बिशेषज्ञो का कहना है कि इस किसान संगठन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकेगी। स्थानीय किसानों में सुरेश सिंह पटेल, रामकेश सिंह, मानिकलाल पाण्डेय, राम चन्द्र तिवारी, राम सुशील तिवारी, भूपेंद्र त्रिपाठी, अमर नाथ, राम चरण, सुरेश सिंह, अशोक कुमार, शंकर लाल, भगवत प्रसाद, इंद्र नारायण, देव मूरत, संतोष कुमार, लोकनाथ, दिनेश धर द्विवेदी, ओमकार नाथ द्विवेदी, अनुज कुमार तिवारी, सनत कुमार, उदय भान आदि ने इस पहल का स्वागत किया है। किसान राम सुशील तिवारी का कहना है, इस कंपनी के माध्यम से हम एकजुट होकर अपने अधिकारों और बाजार मूल्य के लिए आवाज उठा सकेंगे। यह हमें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। इस पहल से किसानों को आधुनिक तकनीक से जुड़ने, खाद्य प्रसंस्करण में भाग लेने और निर्यात के अवसर प्राप्त करने का मार्ग भी मिलेगा। कृषि बिषेशज्ञ सुजीत कुमार के अनुसार, यदि यह योजना सही ढंग से कार्यान्वित की जाएगी, तो यह कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। चित्रकूट के उप कृषि निदेशक, राज कुमार ने बताया कि इस एफपीओ का गठन किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं और उनकी आय में वृद्धि हो सकती है। सरकार और संबंधित संस्थाओं द्वारा इस दिशा में और भी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक किसान इस योजना से लाभान्वित हो सकें। कंपनी ने इन्वेस्टर्स को भी अपील किया है की किसानो के साथ सही प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है, इस एफपीओ का प्रमोशन सामाजिक संस्था तुलसीदास शिक्षा एवं विकास समिति शोध संस्थान द्वारा किया जायेगा

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय: चंद्रप्रकाश द्विवेदी , चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी है।

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