*आखिर इस अधिकारी को क्यों मन भाया चित्रकूट जो अपनी पूरी नौकरी का ज्यादा समय काटने के बाद भी जिले के जिलाधिकारी से लेकर शासन सरकार भी यहाँ से स्थानांतरण करने नहीं जुटा पाए हिम्मत*।
चित्रकूट — जिले का एक ऐसा वन विभाग का रेंजर जिसने चित्रकूटधाम मण्डल मे काट दी अपनी पूरी नौकरी। जबकि शासनादेश में एक जनपद में 3 साल से ज्यादा समय तक रहने का आदेश नहीं है । लेकिन इस रेंजर ने चित्रकूटधाम मण्डल में 32 साल और चित्रकूट जिले में लगभग 7 साल से लगातार तैनात है। जनपद में 7 साल लगातार तैनाती के पहले भी कई वर्ष इस जनपद में रह चुका है यानि पूरी नौकरी का सबसे ज्यादा समय चित्रकूट में बिताया है लेकिन आज तक विभाग के उच्च अधिकारियो से लेकर सरकार तक इस अधिकारी का स्थानांतरण करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाए है। तत्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने अंगद की तरह पैर जमाये रेंजर नफीस खान के स्थानांतरण के लिए शासन को पत्र लिखा था फिर भी स्थानांतरण नहीं हुआ दुर्भाग्य बस तत्कालीन जिलाधिकारी का स्थानांतरण हो गया जिससे मामला ठन्डे बस्ते में चला गया। सूत्र बताते है कि विभाग में सेटिंग बाज रेंजर ने दिव्यांग न होने के बावजूद भी टेंपरेरी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाकर उसकी आड़ में कोर्ट का सहारा लिया था जबकि कोर्ट ने भी शासन और सरकार को कही भी पोस्टिंग करने के लिए निर्देशित किया था लेकिन इसके बाद भी मामला ठन्डे बस्ते में पड़ा हुआ है। तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपर मुख्य सचिव, मा० मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को अगस्त माह 2023 को पत्र लिखकर परिक्रमा मार्ग में हुए अतिक्रमण का जिम्मेदार ठहराते हुए काम के प्रति लापरवाही और उदासीनता का आरोप लगाकर स्थानांतरण किये जाने का अनुरोध किया था जिसपसर अब तक कार्यवाही नहीं हुई अब सवाल उठता है कि क्या ऐसे लापरवाह रेंजर शासन सरकार पर भारी है। क्या वर्तमान जिलाधिकारी शिवशरनप्पा जीएन इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए लगभग तीन दशक से अंगद कि तरह पैर जमाये रेंजर का पैर हिला पाएंगे या फिर ऐसे ही रहेगा सब पर भरी*।