चित्रकूट की कर्वी विधानसभा सीट पर एक ऐसा नाम लगातार चर्चा में है, जो राजनीति को पद नहीं, सेवा का अवसर मानता है, जगदीश गौतम। लोहदा गांव के रहने वाले गौतम पहले अध्यापक थे, लेकिन शिक्षा की दुनिया में वर्षों तक काम करने के बाद उन्होंने समाजसेवा को जीवन का मार्ग बना लिया। विद्यार्थी परिषद् से सक्रियता शुरू हुई, फिर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए वे जमीनी सच्चाइयों से रूबरू हुए, और अंततः राजनीति की राह पकड़ी। 2017 में बसपा से कर्वी विधानसभा से चुनाव लड़े और 50,000 से अधिक वोट पाकर जिले में सर्वाधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार बन गए। भले वे चुनाव न जीत पाए, लेकिन हर वर्ग, ब्राह्मण, दलित, पिछड़े और मुस्लिम के बीच उनकी स्वीकार्यता सिद्ध हो गई।
वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी में क्षेत्रीय संयोजक की भूमिका में हैं और कर्वी से टिकट के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उनका मानना है कि अगर 2022 में भाजपा ने उन्हें टिकट दिया होता, तो कर्वी सीट भाजपा के खाते में होती, क्योंकि आज भी सभी जातियों और वर्गों में उनका भरोसा कायम है। खास बात यह है कि वे खुद को सिर्फ ब्राह्मण चेहरा नहीं मानते, बल्कि हर समाज का प्रतिनिधि कहते हैं। लेकिन यह भी सच है कि वे इस समय भाजपा में कर्वी सीट से एकमात्र सक्रिय, शिक्षित और सामाजिक रूप से स्वीकृत ब्राह्मण चेहरा हैं।
राजनीति के साथ-साथ उनकी समाजसेवा की छवि औरों से अलग है। बातचीत में बताया कि एक बार वे पोस्टमार्टम हाउस में एक गरीब के पास उसके किसी परिजन के अन्तिम संस्कार के लिये पैसे नही थे , तब से उस घटना से .प्रेरित होकर आज भी पोस्टमार्टम हाउस में अंतिम संस्कार के लिए ‘झोला सेवा’ चलाते हैं, जिसमें मृतक चाहे किसी भी जाति या मजहब का हो, उसके लिए अंत्येष्टि का सारा सामान निःशुल्क दिया जाता है। यही नहीं, उन्होंने अब एक नई पहल की है जिसमें यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में जो छात्र-छात्राएं प्रदेश की टॉप-10 सूची में आएंगे, उन्हें अपनी ओर से गिफ्ट देंगे, लड़कियों को स्कूटी और लड़कों को मोटरसाइकिल। जिले में टॉप-3 आने वाले बच्चों, उनके अभिभावकों और स्कूल के शिक्षकों को सार्वजनिक मंच से सम्मानित कर रहे है ।
गौतम का कहना है कि राजनीति में टिकने के लिए सिर्फ नारों की नहीं, नीयत की जरूरत होती है। उनका नारा स्वच्छ चित्रकूट, सुंदर चित्रकूट, समृद्ध चित्रकूट अब गाँव-गाँव गूंजने लगा है। वे कई वर्षों से उनके गांव के पास बाल केशरी देवी मंदिर में दंगल करवाते आ रहे हैं, जो आज गांव की सांस्कृतिक परंपरा बन चुका है। वे कहते हैं कि राजनीतिक पार्टी कोई भी हो, अगर निष्ठा और ज़मीनी जुड़ाव हो तो जनता भरोसा करती है। इसलिए उनका यह भी कहना है कि जो पार्टी उन्हें जिम्मेदारी देगी, वे पूरी निष्ठा और समर्पण से उसका निर्वहन करेंगे।
सरस भावना के संपादक बड़का पण्डित से हुई विशेष बातचीत में जगदीश गौतम ने कहा, “राजनीति मेरे लिए कोई मंच सजाने की चीज नहीं है, बल्कि सेवा को संगठित करने का जरिया है। मैंने कभी टिकट को लेकर लड़ाई नहीं की, लेकिन अपने ज़मीर और ज़मीन दोनों को साथ लेकर चला हूं। अगर पार्टी आज मुझ पर भरोसा जताती है तो ये भरोसा सिर्फ मेरे ऊपर नहीं, उस हर कार्यकर्ता और हर जरूरतमंद नागरिक पर होगा, जिसकी सेवा मैं करता रहा हूं।” बातचीत के दौरान गौतम ने यह भी दोहराया कि उन्होंने 2019 से लेकर 2022 तक लोकसभा और विधानसभा दोनों सीटों के लिए दावेदारी की, लेकिन पार्टी के निर्णय का सम्मान करते हुए संगठन में सक्रिय बने रहे।
अब जब कर्वी विधानसभा में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा फिर तेज है, तो पार्टी कार्यकर्ता और स्थानीय जनता उन्हें एक स्वाभाविक उम्मीदवार के तौर पर देख रही है, एक ऐसा नेता जो जात-पात नहीं देखता, सेवा की राजनीति करता है और हर समय क्षेत्र की समस्याओं में खड़ा मिलता है। जगदीश गौतम का नाम आज किसी चुनावी पोस्टर से नहीं, जनता की जुबान से चर्चा में है। राजनीति में जब सेवा से आए लोग खड़े होते हैं, तो सिर्फ चेहरा नहीं, सोच भी बदलती है। कर्वी की राजनीति ऐसे ही बदलाव की दहलीज पर है, जहाँ जगदीश गौतम जैसे नेता उम्मीद की नई रेखा खींचते हैं।
साक्षात्कार
बडका पंिडत – राजनीति में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
जगदीश गौतम – शिक्षक था, लेकिन लगा कि समाज को
बदलने के लिए सिर्फ कक्षा नहीं, व्यवस्था बदलनी होगी। विद्यार्थी
परिषद से शुरुआत हुई, फिर समाजसेवा ने राजनीति की राह
दिखाई।
बडका पंिडत – 2017 में 50,000 वोट मिले लेकिन हार गए, क्या
लगा?
जगदीश गौतम -.हार नहीं, जनसमर्थन की जीत थी। हर वर्ग ने
साथ दिया, ब्राह्मण, दलित, मुस्लिम, पिछड़े सबने। यही मेरी असली
ताकत है।
बडका पंिडत -अभी क्या भूमिका है पार्टी में?
जगदीश गौतम -भाजपा में क्षेत्रीय संयोजक हूँ, लेकिन कार्यकर्ता
पहले हूँ। टिकट मांगने नहीं, जिम्मेदारी निभाने की इच्छा से सक्रिय
हूँ।
बडका पंिडत – 2022 में टिकट नहीं मिला, नाराज़गी नहीं हुई?
जगदीश गौतम -बिलकुल नहीं। पार्टी का निर्णय सर्वाेपरि है।
लेकिन विश्वास है कि अगर मुझे टिकट दिया जाता तो कर्वी सीट
भाजपा की होती।
बडका पंिडत – सेवा का कौन-सा काम सबसे दिल के करीब
है?
जगदीश गौतम -पोस्टमार्टम झोला सेवा। मृतक चाहे कोई भी
हो, अंत्येष्टि का सामान सम्मान के साथ देना मेरा फर्ज़ है।
बडका पंिडत – छात्रों के लिए स्कूटी-बाइक इनाम क्यों?
जगदीश गौतम -क्योंकि शिक्षा ही असली क्रांति है। टॉप-10 में
आने वाली बेटियों को स्कूटी और बेटों को बाइक दूंगा, ये मेरा
वादा है, प्रचार नहीं।
बडका पंिडत -अगला कदम क्या है?
जगदीश गौतम -अगर पार्टी भरोसा करती है तो कर्वी को स्वच्छ,
सुंदर और समृद्ध बनाना मेरी प्राथमिकता होगी। मैं चेहरा नहीं, चरित्र
लेकर आया हूँ।
बडका पंिडत – कोई नारा?
जगदीश गौतम – “सेवा से समाधान, काम से पहचान।”