वन स्टॉप सेंटर चित्रकूट पर उठे सवाल, लाखों का बजट, लेकिन व्यवस्था अधूरी, फर्जी स्टॉक रजिस्टर, और सुविधाएं सिर्फ कागज़ पर
वन स्टॉप सेंटर गढ़ीवा, चित्रकूट में तैनात महिला अधिकारी के कार्य व्यवहार और व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते हुए भारतीय जनता मजदूर ट्रेड यूनियन उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर उक्त सेन्टर प्रभारी को हटाने की मांग की है।
प्रदेश महामंत्री चन्द्रमोहन द्विवेदी द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र में कहा गया है कि वन स्टॉप सेंटर में आने वाली पीड़ित महिलाओं को भोजन, चाय और जरूरी सुविधाओं की आपूर्ति में कटौती और लापरवाही बरती जा रही है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि सेन्टर प्रभारी पर तैनात महिला श्रीमती रंजीता पाण्डेय का कार्य पीड़िताओं के प्रति लापरवाही पूर्ण है । और उनके स्थान पर किसी अभियोजन महिला अधिकारी की तैनाती नहीं की गई है।
संगठन ने मांग की है कि महिला हितों की सुरक्षा और केंद्र की प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु वर्तमान प्रभारी को हटाकर किसी सक्षम महिला अधिकारी की नियुक्ति की जाए।
पत्र की प्रति जिलाधिकारी चित्रकूट को भी भेजी गई है, जिस पर जिलाधिकारी कार्यालय ने दिनांक 5 जून 2025 को जांच हेतु संस्तुति प्रदान की है।
चित्रकूट जनपद के गढ़ीवा में संचालित सखी वन स्टॉप सेंटर एक बार फिर विवादों में है। यह केंद्र, जो कि महिला कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित होता है, अपने संचालन, तैनात कर्मचारियों और बजट व्यय को लेकर सवालों के घेरे में आ गया है। जानकारी के अनुसार, सेंटर में प्रभारी के पद पर कार्यरत महज केस वर्कर पद पर तैनात हैं, इसके बावजूद उन्हें पूरे सेंटर का चार्ज सौंप दिया गया है। जबकि सेंटर पर पहले से ही उनसे वरिष्ठ कर्मचारी की पदों पर तैनाती है।
स्थानीय संगठनों, महिला कार्यकर्ताओं और सामाजिक प्रतिनिधियों का आरोप है कि वन स्टॉप सेंटर की नियुक्तियों में पारदर्शिता का घोर अभाव है। स्टाफ रोस्टर का पालन नहीं होता, प्रभारी अक्सर सेंटर में अपनी मनमानी करती हैं, और पीड़ित महिलाओं को उनकी जरूरत के मुताबिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही है ।
उल्लेखनीय है कि सखी वन स्टॉप सेंटर को ओएससी जीओ 2024 गाइडलाइन के तहत प्रतिवर्ष 60 लाख से अधिक का बजट उपलब्ध कराया जाता है। इस बजट में कर्मचारियों के मानदेय से लेकर दवा, भोजन, आपातकालीन सहायता, सुरक्षा व परिवहन तक की व्यवस्थाएं सम्मिलित हैं। इसके बावजूद, पीड़िताओं को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है।
प्रशासन की चुप्पी और महिला कल्याण विभाग की निष्क्रियता को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस पूरे प्रकरण में कोई राजनीतिक दबाव या ‘ऊपरी संरक्षण’ काम कर रहा है? अब तक कोई जांच प्रारंभ नहीं हुई, न ही प्रभारी को हटाने की प्रक्रिया दिखाई दी है। जानकारों का दावा है कि प्रभारी की नियुक्ति में किसी राजनीतिक व्यक्ति की सिफारिश शामिल हो सकती है, जिससे कार्रवाई को रोक दिया गया है।
इस संदर्भ में जिला प्रोबेशन अधिकारी से लगातार तीन दिनों से फोन एवं कार्यालय के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन मीडिया को समय देना उचित नही समझा । उनकी व्यस्तता के कारण कोई उत्तर प्राप्त नहीं हो सका। अतः इस समाचार के प्रकाशन से पूर्व पत्र के माध्यम से उनसे आधिकारिक पक्ष (वर्ज़न) मांगा गया है, ताकि सभी पक्षों को समाचार में यथोचित स्थान दिया जा सके।
स्थानीय जनता, महिला संगठन और समाजसेवियों की मांग है कि वन स्टॉप सेंटर पर तुरंत निष्पक्ष जांच कराई जाए, बजट का ऑडिट सार्वजनिक किया जाए, और प्रभारी पद पर योग्य अधिकारी की पारदर्शी नियुक्ति हो। अन्यथा यह संवेदनशील केंद्र सिर्फ खानापूर्ति और राजनीतिक संरक्षण का अड्डा बनकर रह जाएगा।