Thursday, July 10, 2025
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सेवई खिलाया इसलिए विनोद ने नहीं बदली पार्टी, मुर्गा-दारू देता तो झट से बदल देता पार्टी!

फुलेरा पंचायत के चुनावी मैदान में इस बार असली मुकाबला दो महिला उम्मीदवारों मंजू देवी और क्रांति देवी के बीच है। जहां मंजू देवी पूर्व प्रधान रह चुकी हैं और दोबारा किस्मत आजमा रही हैं, वहीं क्रांति देवी एक नई राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी हैं। क्रांति देवी की टीम में विनोद नाम का एक युवा कार्यकर्ता पूरी निष्ठा से जुटा है, जो हर गली-मुहल्ले में पोस्टर लगाने से लेकर जनसंपर्क तक में सबसे आगे रहता है। मंजू देवी के पति ब्रजभूषण दुबे उर्फ़ परधान जी को ये बात खटक रही थी। चुनावी गणित में विनोद का पक्ष बदलना निर्णायक हो सकता था। ऐसे में उन्होंने विनोद को एक रात ‘घरेलू दावत’ पर बुलाया, जहां बिना शोरगुल, बिना माइक सिर्फ गरम पूरी, मटर की सब्ज़ी और अंत में ब्रह्मास्त्र के रूप में मीठी सेवई परोसी गई। माहौल ऐसा बना कि प्रह्लाद और विकास ने मौके पर कह ही दिया विनोद भाई, पार्टी बदल लो! हमारे साथ आ जाओं और साथ मे दिया उप प्रधान बननें का आफर।
लेकिन विनोद ने सेवई का आखिरी निवाला खाकर चम्मच नीचे रखा और धीरे से बोला “गरीब हूं, पर गद्दार नहीं।” इतना कहकर वह बाहर निकल गया। पीछे छूट गए तामझाम, चुप्पी और वो सेवई की कटोरी जो इस चुनाव में चरित्र परीक्षण की प्रतीक बन गई। फुलेरा गांव के लोग अब कहने लगे हैं “अगर विनोद को मुर्गा-दारू का ऑफर होता, तो शायद शाम तक ही पार्टी बदल देता।” लेकिन सेवई की मिठास ने, जो प्रधानिन की रसोई से उठकर आई थी, दारू के नशे को भी मात दे दी। ये कोई मामूली बात नहीं थी, जब देश के अधिकांश हिस्सों में चुनावों को शराब, पैसे और झूठे वादों से प्रभावित करने की साजिशें चलती हैं, वहां फुलेरा जैसे गांव से विनोद की ईमानदारी और सेवई की सादगी ने एक नई मिसाल गढ़ दी है।
अब गांव के नुक्कड़, पान की दुकान और चबूतरे पर यही चर्चा है कि विनाद ने सेवई खाई पर ज़मीर नहीं बेचा! लोग कह रहे हैं “सियासत के बाजार में जहां मुर्गा-दारू बिकता है, वहां अगर कोई सेवई में भी ईमानदारी बचा ले जाए, तो समझो चुनाव का असली विजेता वही है।” कुछ लोग हंसी में कह रहे हैं “नेताओं को अब चिकन मसाला नहीं, सेवई बनाना सीखना चाहिए।” औरतें कह रही हैं “हमारे घर की रसोई से राजनीति बदल सकती है, बस एक प्लेट सेवई और साफ नीयत चाहिए।” यह छोटी-सी घटना अब सोशल मीडिया से लेकर गांव के अखबारों तक में ‘मॉरल स्टोरी ऑफ द इलेक्शन’ बन गई है।
पंचायत सीजन 3 की वेब सीरीज़ देख रहे दर्शकों को यह किस्सा रियल लाइफ सीरीज़ जैसा लग रहा है। जहां कुर्सियों की साजिशें, कार्यकर्ताओं की खरीद-फरोख्त और सत्ता के समीकरणों के बीच, एक विनोद और एक कटोरी सेवई राजनीति की परिभाषा बदल देते हैं। यह घटना सिर्फ एक खाने की मेज़ की नहीं, बल्कि नैतिकता की जीत है। बड़का पंडित की कलम आखरी में यही कहती है “आज के चुनाव में नेता नहीं, सेवई चाहिए… और वोटर भी ऐसा जो मीठे में भी ईमानदारी बचा सके।”

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय : चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी हैऔर शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
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