मंदाकिनी तट पर दिव्य ज्योति जागृति सेवा संस्थान की ओर से आयोजित कथा में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
चित्रकूट। धर्मनगरी चित्रकूट की पुण्य भूमि पर, मंदाकिनी नदी के पावन तट स्थित श्रीधर आश्रम परिसर में चल रही सात दिवसीय श्रीराम कथा का चौथा दिन अत्यंत भावविभोर कर देने वाला रहा। कथा का आयोजन दिव्य ज्योति जागृति सेवा संस्थान की ओर से किया जा रहा है, सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी दीपिका भारती कथा वाचन कर रही हैं। अपने ओजस्वी वाणी और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से साध्वी दीपिका भारती जी ने चौथे दिन भरत चरित्र, चित्रकूट की दिव्यता, और रामराज्य की अवधारणा को गूढ़ता से श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “भरत न केवल श्रीराम के भ्राता हैं, बल्कि वे भारतीय संस्कृति में त्याग, निष्काम सेवा और कर्तव्यनिष्ठा के प्रतीक हैं। जब भरत चित्रकूट आए और रामजी के चरणों की धूल ली, तब चित्रकूट ही साक्षात तीर्थ बन गया।”
उन्होंने यह भी बताया कि “चित्रकूट की मिट्टी, मंदाकिनी की लहरें और कामदगिरि की परिक्रमा—इन सबमें प्रभु श्रीराम की तपस्या, त्याग और प्रेम का भाव संचित है। यह स्थल केवल ऐतिहासिक नहीं, आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र है।”
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति प्रो. डॉ. भरत मिश्रा उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि “श्रीराम कथा केवल पौराणिक आख्यान नहीं, समाज के नैतिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का माध्यम है।”
विशिष्ट अतिथियों में भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री राजकुमार याज्ञिक, तुलसीदास समिति के अध्यक्ष श्री रामनरेश केसरवानी, पत्रकार एवं सरस भावना के संपादक श्री चंद्र प्रकाश द्विवेदी, ग्रामोदय विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी श्री जयप्रकाश शुक्ला, रवि चतुर्वेदी, अरुण श्रीवास्तव, ओमप्रकाश सिंह एवं प्रमोद सिंह उपस्थित रहे।
कथा का आयोजन 24 से 30 जून तक श्रीधर आश्रम में स्वामी विश्वनाथानंद जी के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। स्वामी विश्वनाथानंद जी ने बताया कि “यह कथा कार्यक्रम केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, समाज में रामराज्य की भावना और सेवा संस्कारों को जगाने का प्रयास है।”
श्रद्धालुओं की भीड़ कथा स्थल पर लगातार बढ़ रही है। कथा के दौरान ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से गूंजता वातावरण, दीप प्रज्वलन की छटा, भजनों की मधुर स्वर लहरियाँ और साध्वी दीपिका भारती जी का गंभीर किन्तु मधुर शैली में कथावाचन—सभी कुछ मिलकर ऐसा अनुभव दे रहे हैं मानो त्रेता युग सजीव हो उठा हो।
आयोजकों ने क्षेत्रवासियों एवं रामभक्तों से आगामी दिनों में कथा में सम्मिलित होकर धर्म लाभ प्राप्त करने का आग्रह किया है। प्रत्येक दिन कथा के उपरांत कथा समस्त स्रोताओं के लिए विशाल भंडारे की व्यवस्था भी होती है।