Thursday, July 10, 2025
Homeचित्रकूट विशेषविनय हिंद पांडेय उस दौर का आखिरी ईमानदार पत्रकार - विनय हिन्द...

विनय हिंद पांडेय उस दौर का आखिरी ईमानदार पत्रकार – विनय हिन्द पांडेय और ‘जनहित प्रेस’ – राजापुर की पत्रकारिता में एक अद्वितीय नाम एवं संस्थान

चित्रकूट । राजापुर की जब भी पत्रकारिता का ज़िक्र होता है, तो बहुत से नाम सामने आते हैं किसी की पहचान सरकारी विज्ञप्तियों के भरोसे बनी, किसी ने पत्रकारिता को सत्ता और संस्था से जोड़कर करियर बना लिया, और कुछ ऐसे भी हुए जिन्होंने पत्रकारिता को पेशा नहीं, व्यवस्था से सवाल पूछने का औज़ार समझा। लेकिन इन तमाम नामों में एक नाम ऐसा है, जो बाकी सबसे अलग है विनय हिंद पांडेय। वे सिर्फ पत्रकार नहीं थे, पत्रकारिता के सिद्धांत थे, एक विचार थे, एक परंपरा थे, जो अब दुर्लभ होती जा रही है।
विनय जी ने पत्रकारिता तब शुरू की जब पत्रकार के पास ना तो कैमरा था, ना स्मार्टफोन, ना ही पीआर संबंध। उनके पास बस एक ईमानदार कलम, निडर दृष्टि और जनहित का भाव था। उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा दैनिक जागरण के क्षेत्रीय संवाददाता के रूप में राजापुर और आसपास के क्षेत्रों की खबरें लिखने में लगाया। ये वो दौर था जब अखबार की खबरें अगले दिन की जनचर्चा तय करती थीं, और पत्रकार की छवि उसके लेखन और निष्पक्षता से बनती थी ना कि स्टूडियो में बैठकर चीखने से या बड़े नेताओं के साथ फोटो खिंचवाने से।
विनय पांडेय ने राजापुर जैसे अर्द्ध-ग्रामीण क्षेत्र में उस समय पत्रकारिता की जब संसाधनों की कमी थी, लेकिन प्रतिबद्धता की कोई कमी नहीं थी। वे सच्ची खबरों के खोजी पत्रकार थे। कहीं सड़क टूटी, स्कूल में मास्टर नहीं आया, राशन डीलर ने गड़बड़ी की, अस्पताल में दवा नहीं मिली, तो वे बिना किसी दिखावे के निकल पड़ते साइकिल से, पैदल या बस से, और लौटते थे एक रिपोर्ट के साथ जो सीधी जनता के हक़ की बात करती थी।
विनय जी की लेखनी में संवेदना और संकल्प दोनों होते थे। उनके लेखों में स्थानीय लोगों की पीड़ा, किसानों की चिंता, शिक्षकों की परेशानी, और प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती थी। उन्होंने कभी तथाकथित बड़े नामों के चरण छूने की ज़रूरत नहीं समझी, न ही किसी थाने या तहसील में अपनी मौजूदगी को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर पेश किया। पत्रकारों के बीच जिस ‘सिस्टम से सेटिंग’ की चर्चा आज आम हो चली है, विनय जी उसके उलट सिस्टम से टकराने वाले पत्रकार थे। उनकी आदत थी कि वे किसी थाने में चाय तक नहीं पीते थे। उनका मानना था कि पत्रकार को अपनी साख खुद बनानी होती है, और एक बार कलम बिक गई, तो फिर खबरें खरीदी जाती हैं, पढ़ी नहीं जातीं।
कार्यक्रमों में जाना हो, तो भी वे अपने पैसे से जाते थे, कभी किसी के वाहन या सम्मान पर निर्भर नहीं रहते। उनका यह आत्मसम्मान आज के पत्रकारिता के चमकते चेहरों में कहीं खो गया है। ‘जनहित’ उनके लिए शब्द नहीं, कर्म था। वे पत्रकारिता को खबर से आगे ले जाकर समाजसेवा का साधन मानते थे, और यह भाव उनके व्यवहार, उनके बोलचाल और उनकी लेखनी से झलकता था।
वक्त बदला, पत्रकारिता की परिभाषा भी बदली। आज जब पत्रकारिता का स्वरूप यू-ट्यूब चैनलों, व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी, और पेड न्यूज की तरफ मुड़ गया है, विनय जी जैसे पत्रकार खामोशी से किनारे हो गए। उन्होंने कभी कैमरे के सामने आने की लालसा नहीं रखी, न ही अपने काम को प्रचारित करने की कोशिश की। लेकिन उनकी खबरें, उनके लेख, उनके विश्लेषण खुद बोलते थे। उनकी रिपोर्टें पढ़कर कई बार प्रशासन भी हरकत में आता था। जनता उन्हें पत्रकार नहीं, ‘अपना आदमी’ मानती थी।
पत्रकारिता छोड़ने का उनका निर्णय भी उतना ही ईमानदार था, जितनी उनकी पूरी पत्रकारिता। उन्होंने साफ कहा कि अब की पत्रकारिता ‘आपत्रकारिता’ बन गई है। अब पत्रकारों की पहचान उनके विचारों से नहीं, उनके मोबाइल कैमरे, एडिटर से संबंध और सत्ताधारी नेताओं की नजदीकी से तय होती है। आज खबर की कीमत उसकी सच्चाई से नहीं, उसके व्यूज से तय होती है। ऐसे माहौल में उन्होंने खुद को किनारे करना बेहतर समझा।
राजापुर में आज भी ‘जनहित प्रेस’ के नाम से उनका पुराना प्रिंटिंग प्रेस चलता है। तकनीक बदल गई है, डिज़िटल दुनिया हावी हो गई है, लेकिन यह प्रेस आज भी पुराने मूल्यों और आत्मीय पत्रकारिता की आखिरी निशानी की तरह खड़ा है। यहाँ की मशीनों की आवाज़ में आज भी वो गूंज है जो कभी जनसरोकार की खबरों के छपने के वक्त होती थी।
आज जब किसी नवयुवक पत्रकार से पूछा जाता है कि क्या उन्होंने विनय हिंद पांडेय का नाम सुना है, तो कुछ मुस्कुराकर कहते हैं कृ हाँ, सुना है, बहुत तेज़ पत्रकार थे। लेकिन बहुतों को उनकी गहराई का अंदाज़ा नहीं। क्योंकि आजकल पत्रकार बनने के लिए ज्ञान या विचार नहीं, एक सोशल मीडिया पेज, एक माइक और एक स्टिकर काफी होता है।
विनय जी आज भले सक्रिय पत्रकारिता से दूर हों, लेकिन उनका नाम आज भी राजापुर के हर सजग नागरिक की स्मृति में बसा है। उनके लिखे पुराने लेख आज भी सबक देने के लिए काफी हैं। उनके सिद्धांत, उनका आत्मसम्मान और उनकी जनपक्षधरता आज के युवा पत्रकारों के लिए मार्गदर्शक की तरह हैं, बशर्ते वे समझ सकें कि पत्रकारिता सिर्फ कैमरा घुमा देने का नाम नहीं, सच के साथ खड़ा होने का साहस है।
इस दौर में जब पत्रकारिता बाज़ार और भक्ति के दो सिरों के बीच झूल रही है, विनय हिंद पांडेय जैसे पत्रकार उस बचे-खुचे मध्य मार्ग के प्रतीक हैं, जहाँ सिर्फ जनता की आवाज़ होती है, और कोई एजेंडा नहीं।
राजापुर को कभी अगर पत्रकारिता की ज़मीन पर गर्व करना हो, तो विनय हिंद पांडेय का नाम लिए बिना बात अधूरी मानी जाएगी। उन्होंने यह सिखाया कि पत्रकार होना आसान हो सकता है, पर ईमानदार पत्रकार बने रहना तपस्या है।

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय : चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी हैऔर शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments