जब ज़िंदगी में साथ देने वाला कोई न हो, तो खुद ही अपने हौसले को साथी बनाना पड़ता है। चित्रकूट की करवी तहसील में रहने वाली दीपशिखा सोनी ने कुछ ऐसा ही किया। पति के साथ छूटने के बाद जब दो बच्चों की परवरिश अकेले करनी पड़ी, तो उन्होंने खुद को टूटने नहीं दिया। 2007 में चित्रकूट के उद्यमिता पीठ से सिलाई का कोर्स किया और स्वरोज़गार की दिशा में कदम बढ़ाया। सिलाई से रोज़गार की शुरुआत की, लेकिन घर का खर्च निकालना मुश्किल था। परिस्थितियाँ लगातार परीक्षा ले रही थीं, मगर दीपशिखा पीछे नहीं हटीं। तब उन्होंने बड़ा निर्णय लिया और मुंबई जाकर ब्यूटी पार्लर का प्रोफेशनल कोर्स किया।
मुंबई से लौटकर उन्होंने करवी के चंद्रलोक मॉल की ऊपरी मंज़िल पर एक छोटा-सा पार्लर शुरू किया कृ नाम रखा ष्जान्हवी ब्यूटी पार्लरष्। शुरुआत में ग्राहक कम थे, संसाधन सीमित थे, लेकिन इरादे बुलंद। धीरे-धीरे यह पार्लर करवी का जाना-पहचाना नाम बन गया। आज यह सिर्फ सौंदर्य सेवाओं का केंद्र नहीं, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाला एक प्रशिक्षण स्थल बन चुका है। दीपशिखा ने ब्यूटी पार्लर को सिर्फ व्यवसाय नहीं, बल्कि समाजसेवा का माध्यम बना दिया। उन्होंने गरीब लड़कियों की शादी के लिए विशेष योजना शुरू की यदि कोई लड़की आर्थिक रूप से कमज़ोर है, गरीब है तो मात्र 501 रुपये में उसे पूरी तरह से दुल्हन की तरह तैयार किया जाता है। इस पहल से अब तक 300 से अधिक लड़कियों को सम्मान और आत्मविश्वास मिला है।
दीपशिखा कहती हैं, मैंने भी वो दिन देखे हैं जब जेब में पैसे नहीं थे, और लोग सवाल करते थे कि अब क्या करोगी? मैं नहीं चाहती कि कोई और लड़की ऐसे हालात से गुज़रे। जब कोई बेटी शादी के दिन खुद को हीन समझती है, तो मैं चाहती हूं कि वह खुद को सबसे सुंदर महसूस करे।उनका यह सपना अब कई लड़कियों की ज़िंदगी बदल रहा है। जान्हवी ब्यूटी पार्लर से अब तक 1000 से अधिक लड़कियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इनमें से सैकड़ों लड़कियों ने या तो खुद का पार्लर शुरू किया है या अन्य पार्लरों में काम कर रही हैं। दीपशिखा खुद ट्रेनिंग लेती हैं, फिर दूसरों को प्रशिक्षित करती हैं,यही सिलसिला उनकी पहचान बन चुका है।
आज जब युवा महिलाएं नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रही हैं, दीपशिखा सोनी जैसी महिलाएं खुद का रास्ता बनाकर दूसरों के लिए मार्गदर्शक बन रही हैं। जान्हवी ब्यूटी पार्लर सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि आशा का एक केंद्र है जहाँ से आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की यात्रा शुरू होती है।
501 रुपये की दुल्हन और हज़ारों का आत्मसम्मान, चित्रकूट की दीपशिखा सोनी बनीं महिलाओं की मिसाल
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