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मानिकपुर में शुरू हुई गौ सेवा की नई मुहिम, अब शिकायत नहीं समाधान की बात!

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गौ सेवा नहीं बहस का विषय – मानिकपुर में समाजसेवियों की नई पहल

चित्रकूट, मानिकपुर | 15 जून 2025
गौ माता के संरक्षण को लेकर मानिकपुर में एक नई जनचर्चा की शुरुआत हुई है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक द्विवेदी ने क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और जागरूक नागरिकों को एक व्हाट्सएप समूह में जोड़कर एक विशेष अपील की है।

उन्होंने कहा, “गौशालाओं की स्थिति दयनीय है, यह तो सभी जानते हैं, लेकिन केवल दोषारोपण से समाधान नहीं होगा। अब ज़रूरत है सकारात्मक पहल की, जिससे गौ माता की रक्षा के साथ-साथ उन्हें समाज और अर्थव्यवस्था से जोड़ा जा सके।”

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक सदस्य रवि जी ने कटाक्ष करते हुए लिखा, “सारा भूसा तो प्रधान और सचिव खा ले रहे, तो क्या होगा गौ माता का?”
जवाब में अभिषेक द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि यह कोई सरकारी गौशाला नहीं है, बल्कि इसमें जनभागीदारी से काम होना है और सभी से सहयोग अपेक्षित है।

यह पहल केवल गायों के लिए चारे की व्यवस्था भर नहीं, बल्कि ग्राम स्तर पर एक सामाजिक चेतना आंदोलन की संभावना को भी जन्म देती है। चर्चा अब केवल आलोचना से आगे बढ़कर समाधान की दिशा में जा रही है।

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय: चंद्रप्रकाश द्विवेदी , चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी है।

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