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विकास’ सिर्फ बैनर में! ज़मीन पर वोट की खातिर शुरू हुआ सौगातों का ‘फरवरी प्यार’

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चित्रकूट, जून 2025, पंचायत चुनाव की आहट सुनते ही चित्रकूट की सड़कों पर अचानक विकास के होर्डिंग, जनसेवा के दावे, और समर्पित जनप्रतिनिधियों की तस्वीरें उग आई हैं। सालों से जिन रास्तों की मिट्टी उड़ती रही, जिन प्राथमिक विद्यालयों में ताले जड़े रहे, और जिन मजरे आज भी अंधेरे में हैं , वहाँ अब विकास के नाम की लिपाई-पुताई तेज़ हो गई है।

चारों ब्लॉकों रामनगर, मऊ, मानिकपुर और पहाड़ी में पंचायत स्तर पर काम का शंखनाद अचानक तेज़ हुआ है। जिन नलों में पानी नहीं था, उनमें अब पाइप डालकर फोटो खिंचवाई जा रही है। कहीं सड़क के किनारे गिट्टी गिराकर लोक निर्माण हुआ बताया जा रहा है, तो कहीं पुराने शौचालयों की नई उद्घाटन पट्टिकाएं चिपका दी गई हैं।

पंचायत सदस्य पद के दावेदारों में सबसे ज्यादा प्रधान ओर जिला पंचायत सदस्यों के पद के लिये ऐसे लोग तैयार हो रहे है जिनके पास बीबी तक का वोट नही है , फिर भी वह अभी से प्रत्याशी बनें बैठे है । हर गांव में हाजिरी बढ़ा दी है। तीज-त्योहार, दुःख-सुख और शादी-विवाह अब बिना बुलाए भी ये चेहरे पहुंच रहे हैं। जनसंवाद की जगह जन-फोटोशूट हो रहा है, जिसमें पीछे बैनर ज़रूर होता है ग्राम का सेवक आपका अपना फलां-फलां।

करोडो की सम्पत्ति बना बैठे बर्तमान प्रधान और ब्लाक प्रमुख समेत जिला पंचायत अध्यक्ष अब फिर से लूटनें के चक्कर में अपनी रणनीति तैयार करनें में लगें हैं, सत्तादल के होने के बाद कोई इनसे कुछ पुछनें की हिम्मत भी नही कर पाता है । बात साफ है चित्रकूट में विकास एक चुनावी ऋतु है, जो फरवरी-मार्च में ही खिलता है। उसके बाद पंचायती सत्ता की गाड़ी फिर साइलेंट मोड पर चली जाती है। जनता समझ रही है कि असली विकास वोट की बोली में नहीं, ज़मीनी जवाबदेही में होता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या जनता इस बार फरवरी के प्यार के बहकावे में आएगी, या पुराने वादों का हिसाब माँगेगी?

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय: चंद्रप्रकाश द्विवेदी , चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी है।

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