चित्रकूट-जिले की कर्वी तहसील के सिद्धपुर गांव में जो हुआ, उसने शासन- प्रशासन की जमीनी हकीकत को सामने ला दिया. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की चौपाल में उस वक्त अफरा- तफरी मच गई, जब एक बस्ती के ग्रामीण पानी की मांग को लेकर हाथ में बर्तन लेकर पहुंच गए. खास बात ये रही कि इन बर्तनों पर बड़े- बड़े अक्षरों में “भाषण नहीं पानी चाहिए”, “हम प्यासे हैं, नल सूखा है” जैसे नारे लिखे हुए थे.
गांव की महिलाओं और बुजुर्गों के चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था. सालों से नलों में पानी नहीं आया, हैंडपंप खराब पड़ा है. गर्मी में हालात बद से बदतर हो गए हैं. ऐसे में जब मंत्री जी गांव में चौपाल लगाने पहुंचे, तो लोगों ने मंच तक पहुंचकर अपनी बात रखने की ठानी.
मंच पर बर्तन लेकर पहुंचे ग्रामीण
जैसे ही मंत्री जी का भाषण शुरू हुआ, कुछ ग्रामीण बर्तन उठाकर नारे लिखे पोस्टर के साथ मंच की ओर बढ़े. इन बर्तनों पर उनकी पीड़ा दर्ज थी. कोई बर्तन पर ‘प्यासा हूं’ लिखकर लाया, तो किसी के बर्तन पर ‘सिर्फ बिल आता है, पानी नहीं’ लिखा था. यह मंजर देख वहां मौजूद हर कोई हक्का-बक्का रह गया.
पुलिस ने दिखाई सख्ती
मंच तक जाते ग्रामीणों को देख पुलिस हरकत में आ गई. ग्रामीणों के हाथ से बर्तन छीनकर चौपाल परिसर से बाहर फेंक दिए गए. कई ग्रामीणों को मंच से जबरन पीछे कर दिया गया. इस दौरान एक मासूम बच्चा पानी का छोटा डिब्बा लेकर मंत्री के पास पहुंचा, मगर अफसरों की संवेदनहीनता ने यहां भी मानवता को शर्मसार कर दिया. बच्चे को भी जबरन दूर हटा दिया गया.
‘नल में पानी नहीं, बिल जरूर आता है’
बस्ती से आए रामसनेही, शिवम और कई अन्य ग्रामीणों ने बताया कि उनके मोहल्ले में नल के कनेक्शन तो हैं, लेकिन सालों से उसमें पानी नहीं आया. हैंडपंप भी महीनों से खराब पड़ा है. अधिकारी सुनवाई नहीं करते, और जब भी शिकायत करते हैं, टाल दिया जाता है. गांव में बस एक ही हैंडपंप चालू है, जिससे पूरा गांव किसी तरह पानी भरता है.
एक ग्रामीण ने बताया, “अब तो हालत ये हो गई है कि गर्मी में पानी के लिए रोज लड़ाई हो रही है. सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों पर चल रही हैं. मंत्री जी आए, मगर हमने जब अपनी बात रखनी चाही तो हमें चुप करा दिया गया. हम भाषण सुनने नहीं, अपनी प्यास की पीड़ा बताने आए थे.”
चौपाल में हंगामे के बाद मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कुछ देर के लिए भाषण रोका, मगर उन्होंने पानी की समस्या पर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया. ग्रामीणों का कहना है कि वे अब डीएम और सीएम तक गुहार लगाएंगे क्योंकि स्थानीय प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है.