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कामतानाथ की चेतावनी

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(बड़का पंडित की बकैती से)

पहले जानो कामतानाथ कौन हैं —
चित्रकूट की वह पर्वत-श्रृंखला,
जहाँ खुद श्रीराम ने किया था तप।
जो माँगी मनोकामना, वही पाया,
इसलिए कहलाए — कामदनाथ!
सच्चे मन से जो आये यहाँ,
उसका हर दुख भगवान ने मिटाया।

अब देखो वर्तमान हाल —

कामतानाथ चुप हैं, पर देख रहे सब,
किसके माथे पे है भक्ति, किसके मन में है डबडब।
पीतांबर ओढ़े हैं भगवान, पर
राजनीति ने ओढ़ा दिया स्वार्थ का शान।

नेता आये वोट की थाली लेकर,
धर्म का चोला पहनकर,
मंदिर के चक्कर काटे,
फिर भूले गांव की नाली-सड़क।

बातों ने चित्रकूट को खा लिया,
नेताओं ने उसे बरबाद कर दिया।

सड़क से ज़्यादा दिखे पोस्टर और झूठ,
मंदिर के नीचे दब गई जनता की सच्ची पूछ।

भजन की जगह बजट चला है,
श्रद्धा अब ‘पैकेज’ में बिका है।
कपड़े साधु के, चाल मंत्री की,
कामतानाथ की परिक्रमा में अब भीड़ VIP की।

पंडा बोले — “जय कामतानाथ!”
पर थाली में चढ़ावे से ही भरे उनके हाथ।
भक्त का भरोसा लूटा गया,
धूप अगरबत्ती में अब सौदे की गंध है।

पूजारी ने किया परिक्रमा का प्रचार,
संत बोले — “धर्म ही है व्यापार!”
फेसबुक लाइव, इंस्टा पोस्ट,
अब तपस्या नहीं, डिजिटल हो गया है होस्ट।

कुछ नेता हर दिन परिक्रमा करते हैं,
कदमों से नहीं, स्वार्थ से धरती नापते हैं।
भीड़ देखकर भक्ति दिखाते हैं,
और अकेले में रिश्वत खाते हैं।

कामतानाथ के नाम पे फोटो खिंचवाते हैं,
और पीछे से भ्रष्टाचार के रजिस्टर सजाते हैं।

सच्चा भक्त अब खामोश है,
ढोंगी सबसे चर्चित है।
जहाँ सीता-राम ने वनवास जिया,
वहाँ अब झूठा धर्म पल रहा है।

जो बाहर से श्रद्धा लेकर आते हैं,
उनके विश्वास को यहां लूटा जाता है।
पैसा देख भक्ति को निचोड़ा जाता है जान,
कामतानाथ का नाम लेकर चलता है सारा क्लान।

स्थानीय लुटेरे पहन लेते हैं भगवा चोला,
और भक्तों को घुमा देते हैं नकली गोला।
पंडाल सजता है, फोटो खिंचता है,
काम नहीं, केवल प्रचार बिकता है।

कामतानाथ की चुप चेतावनी —

“जिसने मुझे सीढ़ी बनाया, उसका क्या होगा भगवान?”
“धर्म बिकेगा तो विनाश तय है,
और नकली भक्ति का अंत भी नजदीक है।”

पदचिन्ह अब लज्जित हैं,
परिक्रमा में पाप घुसे हैं।
दर्शन से ज़्यादा दरबार में दिखावा है,
राम नहीं, कैमरा चलता है।

सुनो ओ धर्म के ठेकेदारों!

न तुम साधु हो, न पुजारी, न संत के वारिस।
कर्महीन भक्तों की दुकान बंद होगी,
कामतानाथ की सच्ची पुकार फिर गूंजेगी।

– बड़का पंडित

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय: चंद्रप्रकाश द्विवेदी , चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी है।

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