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बुंदेलखंड की मिट्टी में उपजे शब्दों की शक्ति का साझा मंच: बुंदेली प्रेस क्लब

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“कभी-कभी शब्द बंदूक से ज्यादा असरदार होते हैं — और बुंदेली प्रेस क्लब ने यह साबित किया है।”

बुंदेली प्रेस क्लब कोई महज़ संगठन नहीं, यह एक चेतना है — पत्रकारिता और साहित्य के बीच की वह सेतु, जो बुंदेलखंड की असल आवाज़ को मंच देता है।
यह मंच उन लोगों का है, जो न कलम बेचते हैं, न सच से डरते हैं।
यहाँ न कोई पत्रकार छोटा है, न कोई साहित्यकार दरकिनार।
यह घर है उन जमीनी रिपोर्टरों, व्यंग्यकारों, कवियों और जन-सरोकार से जुड़े लेखकों का, जो अपनी मिट्टी की भाषा, भावना और बेचैनी को शब्दों में ढालकर जनता के बीच ले जाते हैं।

कब और क्यों बनी ये चेतना?

बुंदेली प्रेस क्लब की नींव 2021 में उस समय पड़ी,
जब मीडिया के बड़े मंचों ने ग्रामीण पत्रकारों की आवाज़ को नजरअंदाज़ करना शुरू कर दिया।
प्रसिद्ध अखबारों और चैनलों में प्रायोजित खबरों और पार्टीबाजी ने असली पत्रकारिता का दम घोंटना शुरू किया।
उस वक्त चित्रकूट, सतना, बाँदा, महोबा, पन्ना, छतरपुर और झाँसी जैसे ज़िलों में
बिना संसाधन, बिना वेतन, सिर्फ समाज की आवाज़ बनने निकले कुछ युवा पत्रकारों ने एक-दूसरे का साथ पकड़ कर कहा —
“हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी… और अपनी आवाज़ खुद बनानी होगी।”

यहीं से शुरू हुई बुंदेली प्रेस क्लब की यात्रा। बिना किसी राजनीतिक या कॉर्पोरेट समर्थन के,
एक संघर्षशील, सृजनशील और सच के पक्ष में खड़ा संगठन।

बुंदेली प्रेस क्लब के मुख्य उद्देश्य:
🔹 स्थानीय पत्रकारों को सशक्त करना, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे युवा संवाददाताओं को।
🔹 साहित्यिक प्रतिभाओं को मंच देना, जो कविता, व्यंग्य, कहानी और लोक विधाओं के माध्यम से समाज की तस्वीर दिखा रहे हैं।
🔹 पत्रकारिता और साहित्य के संगम से जनचेतना फैलाना, जिससे बदलाव सिर्फ खबरों तक सीमित न रहे, ज़मीन पर दिखे।
🔹 जन सरोकारों पर केंद्रित संवाद, कार्यशालाएं, कवि सम्मेलन और रिपोर्टिंग शिविरों का आयोजन।
🔹 फर्जी पत्रकारिता और दिखावटी साहित्य के विरुद्ध जन-जागरण अभियान।

संघर्ष और सफलताएँ:
जब एक पत्रकार को ग्राम पंचायत की भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग पर धमकी मिली, क्लब ने न सिर्फ आवाज़ उठाई, बल्कि कानूनी सहायता भी की।
जब एक पत्रकार को हटाया हटाया गया क्योंकि उसने सत्ता पर व्यंग्य किया था, क्लब ने उसे और बड़ा मंच दिलाया।
कई नवोदित पत्रकारों को डिजिटल रिपोर्टिंग, मोबाइल जर्नलिज़्म और लीगल नॉलेज की ट्रेनिंग दी गई, जिससे उन्होंने अपने बलबूते YouTube चैनल, ब्लॉग और स्थानीय अखबार खड़े किए।

🎤 बुंदेली प्रेस क्लब की गतिविधियाँ:
📌 जनसंवाद शिविर – गाँव-गाँव जाकर जनता से सीधे संवाद
📌 बुंदेली व्यंग्य कवि सम्मेलन – जहाँ सत्ता पर कटाक्ष, और जनता के दर्द की कविता सुनाई जाती है
📌 फैक्ट चेक शिविर – फर्जी खबरों के विरुद्ध प्रशिक्षण
📌 ग्रामीण रिपोर्टिंग प्रतियोगिता – युवा पत्रकारों को सम्मान और पहचान
📌 ‘एक पत्रकार–एक पाठशाला’ – स्कूलों में मीडिया साक्षरता अभियान

💬 क्यों ज़रूरी है आज बुंदेली प्रेस क्लब?
आज जब पत्रकारिता कॉर्पोरेट एजेंडा, और साहित्य सेल्फी संस्कृति में उलझा है —
बुंदेली प्रेस क्लब एक जनपक्षीय संकल्प बनकर खड़ा है।
यह मंच एक आंदोलन है, जो कहता है:

“कलम बिके नहीं, साहित्य झुके नहीं, और पत्रकारिता केवल राष्ट्रप्रेम की चाटुकारिता न बने।”

📣 आमंत्रण – इस आंदोलन का हिस्सा बनिए
अगर आप पत्रकार हैं, लेखक हैं, व्यंग्यकार हैं, लोक गायक हैं,
या बस अपने गाँव की सच्ची आवाज़ बनना चाहते हैं —
तो बुंदेली प्रेस क्लब में आपका स्वागत है।

📧 संपर्क करें: bundelipressclub@gmail.com
📍 चित्रकूट मुख्य कार्यालय | क्षेत्रीय इकाइयाँ: सतना, बाँदा, पन्ना, महोबा, झाँसी , ललितपुर छतरपुर
📱 Facebook/Instagram/YouTube: @BundeliPressClub

बुंदेली प्रेस क्लब – जहाँ पत्रकारिता और साहित्य मिलते हैं,
और वहाँ से समाज की सच्ची तस्वीर निकलती है।

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय: चंद्रप्रकाश द्विवेदी , चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी है।

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