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बड़का पंडित बोले…”जा सो नीच बड़ाई पावा, सो नर कबहुँ न सुधरिहि आवा।।”

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बड़का पंडित बोले…
“जा सो नीच बड़ाई पावा,
सो नर कबहुँ न सुधरिहि आवा।।”
– तुलसी बाबा ने तो पहले ही लिख दिया था।
अब मैं बस उस चौपाई में जी रहा हूँ।

जिसको मैंने पत्रकारिता सिखाई,
आज वो मुझे ही बेचने निकला है।
जिसके हाथ में पहली बार प्रेस कार्ड मैंने थमाया था,
आज वो मेरी ही कलम को दलाली कहता है।

क्या करें?
नीच जब बड़ाई पाता है, तो चिल्लाता नहीं, काटता है।

आज जिले के चांदी घाट और धौरहरा, तीरमऊ में हो रहे अवैध खनन की आवाज़ उठाई,
तो जिन्हें “रेत से रोज़गार” मिला था,
उन्हें बुरा लग गया।

मैंने पत्रकारिता को अपना धर्म माना —
उन्होंने पत्रकारिता को “डील” बना लिया।
मैंने सड़क की धूल से सच्चाई निकाली —
उन्होंने स्क्रीनशॉट से सौदेबाज़ी निकाली।

अब जबकि लोग जान चुके हैं कि
कौन पत्रकार है और कौन “पैसे वाला पर्चा-धारी” —
तो उन्हें मेरे चरित्र पर कीचड़ उछालने के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा।

लेकिन याद रखो —
बड़का पंडित बिकाऊ नहीं है।
न ही डरने वाला है।
मैं रेत के धंधे में खड़ा होकर भी,
रेत की तरह बह नहीं जाता।

और हाँ,
जिस दिन “सत्य” को “सिस्टम” से बड़ा कह दिया मैंने,
उस दिन तुम जैसे नकली पंडितों की पोल भी खुली, और दुकाने भी बंद हुईं।

C P Dwivedi
C P Dwivedihttps://sarasbhavna.com
लेखक परिचय: चंद्रप्रकाश द्विवेदी , चित्रकूट निवासी एक सक्रिय पत्रकार, लेखक, शिक्षाविद् और सामाजिक विचारक हैं, जो पिछले दो दशकों से हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सरस भावना’ के संपादक के रूप में जनपक्षीय पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों से की और अपने लेखन तथा संपादन कौशल से बुंदेलखंड की पत्रकारिता को नई दिशा दी। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.), कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री (M.Sc. CS), सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (MSW), पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री, और क़ानूनी ज्ञान में स्नातक (L.L.B.) की शिक्षा प्राप्त की है। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं — एक संवेदनशील पत्रकार, प्रतिबद्ध समाजसेवी, करियर काउंसलर, राजनीतिक विश्लेषक, अधिवक्ता और व्यंग्यकार। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि परिवर्तन और ग्रामीण विकास जैसे जनहित से जुड़े विषयों पर निरंतर काम कर रहे हैं। वर्तमान में वे बुंदेली प्रेस क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सरकार से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हैं। लेखन नाम बड़का पंडित‘’ के नाम से वे राजनीतिक पाखंड, जातिवाद, दिखावटी विकास, मीडिया के पतन और सामाजिक विडंबनाओं पर तीखे, मगर प्रभावशाली व्यंग्य लिखते हैं, जो समाज को सोचने और बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ व्यंग्य का माध्यम है, बल्कि बुंदेलखंड की पीड़ा, चेतना और संघर्ष की आवाज़ भी है।

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